आग लगने के बाद से ही प्रकाश लापता था। उसका फोन भी स्विच ऑफ था। उसके भाई के आग्रह पर डीएन सैंपल से मिलान के बाद उसकी मौत की पुष्टि हो गई।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को टीआरपी गेम जोन में आग लगने से 12 बच्चों समेत 28 लोग मारे गए थे। सभी शव इतनी बुरी तरह से जल गए थे कि उनकी पहचान तक मुश्किल थी। पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों को हिरासत में लिया है। अदालत ने उन्हें 14 दिन की पुलिस रिमांड पर सौंप दिया है।
राजकोट के गेमिंग झोन बनाने वालों ने निगम की मंजूरी न लेने के लिए राइड सर्टिफिकेट लेकर यहां शेड बना दिया। इसके बाद तीन मंजिला भव्य गेम जोन शुरू कर दिया गया। ये सर्टिफिकेट देने वाले अधिकारी भूमिगत हो गए हैं। गेम जोन के लिए फायर एनओसी भी नहीं ली गई। फायर एनओसी जारी करने की जिम्मेदारी राजकोट नगर पालिका की है। पुलिस ने इस मामले में गेमिंग झोन के मालिक और मैनेजर को गिरफ्तार किया गया है। घटना की जांच के लिए SIT गठित की गई है। शहर के सभी गेमिंग झोन बंद कर दिए गए हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय ने गेम जोन में लगी आग से 28 लोगों की मौत को लेकर राजकोट नगर निकाय को कड़ी फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा कि अब उसका राज्य मशीनरी पर से भरोसा उठ गया है जो केवल तब हरकत में आती है जब मासूम लोगों की जान जा चुकी होती है। जब बड़ा ढांचा तैयार किया जा रहा था तब क्या उसने आंखें मूंद रखी थीं? हाईकोर्ट की फटकार पर राजकोट के कमिश्नर सहित 6 IPS अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया है।
Edited by : Nrapendra Gupta