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राजनाथ सिंह 'मिशन कश्मीर' पर, सभी पक्षों से वार्ता और रोजगार पर व्यापक प्रस्ताव

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हमें फॉलो करें Rajnath Singh visited Jammu and Kashmir
, बुधवार, 24 अगस्त 2016 (11:02 IST)
नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में  46वें दिन भी कर्फ्यू और निषेधाज्ञा लागू है। पत्थर मारने का रेट 500 रुपए से बढ़कर 700 रुपए हो गया है। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को जम्मू और कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरे के दौरान राजनाथ के साथ गृह सचिव राजीव महर्षि भी होंगे। राजनाथ घाटी में सुरक्षा-व्यवस्था का जायजा लेंगे। राजनाथ का एक महीने के भीतर कश्मीर का दूसरा दौरा होगा।

राजनाथ की यात्रा से ठीक पहले घाटी में 11 साल बाद फिर से बीएसएफ की तैनाती की गई। श्रीनगर पहुंचने के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह वहां नेहरू गेस्ट हाऊस में कश्मीर के प्रतिनिधिमंडलों से बात करेंगे।

क्या होगा इस दौरे में : राजनाथ सिंह राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों, राजनेताओं और सिविल सोसायटी से कश्मीर हिंसा को लेकर बातचीत करेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा कि जो लोग कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत में यकीन रखते हैं, उनका स्वागत है। उल्लेखनीय है कि कश्मीर में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। 

कश्मीरियों को रोजगार का खाका : जम्मू और कश्मीर के लोगों तक पहुंचने का प्रयास करते हुए केंद्र कौशल विकास प्रशिक्षण समेत विभिन्न माध्यमों तथा पुलिस एवं अद्र्धसैनिक बलों में नौकरियों के जरिए राज्य में 1.40 लाख युवकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में जुट गया है।
 
केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर में पांच नवगठित इंडिया रिजर्व बटालियनों में 5000 युवकों को भर्ती करने की प्रक्रिया में लगी है। रिजर्व बटालियनों में 60 फीसदी भर्तियां राज्य के सीमावर्ती जिलों से की जाएंगी। राज्य से करीब 1300 अन्य युवक अगले छह महीने में विभिन्न अद्र्धसैनिक बलों में लिए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार इसके अलावा 10,000 विशेष पुलिस अधिकारी भी एक साल में जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा भर्ती किए जाएंगे।
 
इससे पहले, जम्मू एवं कश्मीर के विपक्षी विधायकों ने राज्य में जारी अशांति का राजनीतिक समाधान निकालने की मांग को लेकर दिल्ली में कई बैठकें की है। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। मोदी ने विपक्षी दलों से कहा कि घाटी में कई सप्ताह से जारी अशांति के खात्मे के लिए बातचीत जरूरी है, लेकिन इस समस्या का समाधान भारतीय संविधान के दायरे में ही होना चाहिए।
 
गौरतलब है कि आतंकी बुरहान वानी के खात्मे के बाद कश्मीर हिंसा में अब तक 70 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के दो जवानों ने पुलिस की नौकरी से सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा दे दिया। वसीम अहमद और फिरदौस अहमद के मुताबिक, गांव के प्रदर्शनकारियों ने उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया है, इसलिए दोनों पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे रहे हैं। आतंक विरोधी कार्रवाई में एसओजी राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावी है।

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