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जानिए राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया

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, शुक्रवार, 3 जून 2016 (15:07 IST)
भारतीय संसद लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर बनती है। राज्यसभा भारतीय लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं, जिनमे 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है।

अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर 2 साल में सेवा-निवृत होते हैं, इसीलिऋ राज्यसभा हमेशा बनी रहती है, भंग नहीं होती। 
 
11 जून को 15 राज्यों में राज्यसभा की 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक सहित 6 राज्यों में 25 सीटों के लिए निर्धारित संख्या से ज्यादा उम्मीदवार होने से वोटिंग हो सकती है, जबकि बकाया 9 राज्यों में 32 सीटों पर उम्मीदवारों का निर्वाचित होना तय है। आइए जानते हैं राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया के बारे में... 
 
कैसी है राज्यसभा की संवैधानिक व्यवस्था : भारत सरकार अधिनियम 1919  के तहत 1921 में पहली बार दूसरा सदन काउंसिल ऑफ स्टेट्स अस्तित्व में आया, जिसका गवर्नर-जनरल पदेन अध्यक्ष होता था। 
 
संविधान सभा के  निर्णय के अनुसार स्वतंत्र भारत में राज्य सभा के गठन की घोषणा 23 अगस्त 1954 को की गई थी जब उपराष्ट्रपति को इसका पदेन सभापति बनाया गया। राज्यसभा का गठन संघीय व्यवस्था में राज्यों के हितों की रक्षा करने के लिए किया गया है। परन्तु इसके सदस्यों की संख्या लोकसभा से कम रखी गई। राज्यसभा में विशेषज्ञों की नियुक्ति की वजह से इसे पुनरीक्षण सदन भी माना जाता है जो लोकसभा द्वारा पारित प्रस्तावों की ढंग से जांच कर सके और इसके सदस्य मंत्रिपरिषद को भी बेहतर स्वरूप दे सकें।
 
कैसा है राज्यसभा का स्वरूप : राज्यसभा के सदस्‍य का चुनाव राज्‍य विधान सभाओं के चुने हुए विधायक करते हैं। प्रत्‍येक राज्‍य के प्रतिनिधियों की संख्‍या ज्‍यादातर उसकी जनसंख्‍या पर निर्भर करती है। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के राज्यसभा में 34 सदस्‍य हैं। मणिपुर, मिजोरम, सिक्‍किम, त्रिपुरा आदि छोटे राज्‍यों के केवल एक एक सदस्‍य हैं। राज्यसभा में 250 तक सदस्‍य हो सकते हैं। इनमें राष्‍ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्‍य तथा 238 राज्‍यों और संघ-राज्‍य क्षेत्रों द्वारा चुने सदस्‍य होते हैं। इस समय राज्यसभा के 245 सदस्‍य हैं। राज्यसभा के प्रत्‍येक सदस्‍य की कार्यावधि छह वर्ष है। 
 
अनुच्छेद 84 के तहत भारत का नागरिक होने के अलावा राज्‍यसभा की सदस्यता हेतु न्यूनतम आयु 30 वर्ष तय की गई जबकि निचले सदन लोकसभा के लिए यह 25 वर्ष है। 
 
संविधान के अनुच्छेद 102 में दिवालिया और कुछ अन्य वर्ग के लोगों को राज्यसभा सदस्य बनने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। जन प्रतिनिधित्व क़ानून की धारा 154 के अनुसार राज्‍यसभा सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। हर 2 साल में इसके एक तिहाई सदस्‍य सेवानिवृत्त हो जाते हैं इसलिए राज्‍यसभा कभी भंग नहीं होती।
 
कैसे होती है राज्यसभा निर्वाचन की चुनावी प्रक्रिया : राज्य सभा में सदस्यों का चुनाव राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमे विधान परिषद् के सदस्य वोट नहीं डाल सकते। नामांकन फाइल करने के लिए न्यूनतम 10  सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है। सदस्‍यों का चुनाव एकल हस्‍तांतरणीय मत के द्वारा निर्धारित कानून से होता है। इसके अनुसार राज्य की कुल विधानसभा सीटों को राज्यसभा की सदस्य संख्या में एक जोड़ कर उसे विभाजित किया जाता है फिर उसमें 1 जोड़ दिया जाता है। 

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