नई दिल्ली। केंद्र सरकार ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के रामसेतु का ढांचा खत्म नहीं करेगी, बल्कि इसके संरक्षण का प्रयास करेगी।
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को एक हलफनामा दायर करके यह जानकारी दी है। सरकार का कहना है कि वह देशहित में रामसेतु को ढहाए बगैर वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी।
केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दायर करने की जानकारी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने उस वक्त अदालत को दी, जब मामले के एक याचिकाकर्ता भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मामले की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष उल्लेख किया।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत सरकार राष्ट्रहित में रामसेतु को नुकसान पहुंचाए बगैर सेतुसमुद्रम शिपिंग केनाल परियोजना के पहले के मार्ग का विकल्प तलाशेगी।
नब्बे के दशक में सेतुसमुद्रम शिपिंग केनाल नामक परियोजना की संभावना तलाशने के लिए अध्ययन को मंजूरी दी गई थी। वर्ष 1997 में तत्कालीन सरकार ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया था, लेकिन इसे अंतिम मंजूरी 2005 में मिली थी। एडम्स ब्रिज के नाम से भी मशहूर रामसेतु दक्षिण भारत में रामेश्वरम के निकट पामबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट स्थित मन्नार द्वीप तक स्थित है।
स्वामी ने धार्मिक मान्यताओं के आधार पर रामसेतु परियोजना को चुनौती दी थी और इसे राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिए जाने की मांग अपनी याचिका की थी। (वार्ता)