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रामवृक्ष यादव खुद को सम्राट कहता और लगाता था दरबार...

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, शुक्रवार, 3 जून 2016 (20:54 IST)
मथुरा को एक ही दिन में जलाकर खाक करके 'कुख्यात' बना रामवृक्ष यादव आज देशभर में सुर्खियों में आ गया है। पूरा देश कल तक इस नाम के आदमी को जानता तक नहीं था, लेकिन कृष्ण की जन्म स्थली में कंस बनकर खून की होली खेलने वाला यह शख्स आज सबकी जुबां पर चढ़ा हुआ है और उससे कई सवालात भी कर रहा है। 
रामवृक्ष यादव को सनकी सत्याग्रही के नाम से पुकारा जा रहा है। और यह नाम से उसे क्यों न पुकारा जाए? उसने और उसके तथाकथित सत्याग्रहियों ने कानून को हाथ में लेकर मथुरा के एसपी मुकुल द्विवेदी और टीआई संतोष कुमार यादव की गोली मारकर हत्या जो की है। गोलियां भी सीधे सिर में मारी गईं। ऐसा निशाना तो कोई दक्ष निशानेबाज ही लगा सकता है। 
 
क्या यह हैरत की बात नहीं है कि जो शख्स मथुरा में जवाहरबाग की 5 हजार करोड़ की 270 एकड़ जमीन पर 5 हजार लोगों के साथ कब्जा करके बैठा रहा, उसे उत्तरप्रदेश की सरकार की तरफ से 'लोकतांत्रिक सेनानी' की 15 हजार पेंशन' मिल रही है। इस पेंशन की शुरुआत मुलायम सरकार के समय हुई थी। 
 
उप्र सरकार का यही लोकतांत्रिक सेनानी मथुरा के जवाहरबाग में समानांतर सरकार तो चला ही रहा था, साथ ही खुद को सम्राट कहलाना पसंद करता था। यही नहीं, उसका रोजाना दरबार तक लगता था। मथुरा पुलिस तो महज कोर्ट का आदेश लेकर जवाहरबाग को अतिक्रमण से मुक्त करने गई थी, जिसके परिणामस्वरूप उसने अपने दो आला अफसरों को गंवा दिया।  

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गाजीपुर का रहने वाला 50 साल का रामवृक्ष यादव हमेशा हाईटेक रहता था। वह अपने साथ एक युवक को रहता था जिसके पास इंटरनेटयुक्त लेपटॉप हुआ करता था। जब जवाहरबाग की सरकारी जमीन का मामला हाईकोर्ट में चल रहा था, तब वह अदालती की कार्रवाई देखा करता था। रामवृक्ष के सनकीपन का आलम यह था कि वह दरबार लगाकर कहता था कि वही सबकी नागरिकता तय करेगा। जो आदमी उसका आदेश नहीं मानेगा, उसकी उसे सजा मिलेगी। 
 
असल में रामवृक्ष यादव जयगुरुदेव का शिष्य रहा है और जब जयगुरुदेव के निधन के बाद उनकी विरासत हथियाने में नाकाम रहा, तब वह 270 एकड़ जमीन पर कब्जा करके यहां पर जयगुरुदेव की तर्ज पर आश्रम बनाना चाहता था। इसके लिए उसे राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ था। यही कारण है कि मथुरा का स्थानीय प्रशासन सरकारी जमीन को खाली कराने में नाकाम रहा था। जब भी प्रशासन जमीन खाली कराने के लिए मुनादी करता, रामवृक्ष यादव के लोग उसका विरोध करते हुए नारे लगाते। 
 
रामवृक्ष के साथ रहने वाले लोग खुद को सत्याग्रही और आजाद हिन्द फौज बताते रहते थे। जिस क्षेत्र पर इनका अवैध कब्जा था, वहां पर सुबह रोजाना प्रार्थना सभा होती थी और जयहिंद के साथ जय सुभाष के नारे लगाए जाते थे। इन लोगों को यहां शूटिंग का प्रशिक्षण दिया जाता था। शूटिंग का प्रशिक्षण लेने वाले 15 साल तक की उम्र के बच्चे हुआ करते थे और उन्हें यही सिखाया जाता था कि उन्हें फौज और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ गोली चलानी है। रामवृक्ष खुद भी मीसा एक्ट में जेल जा चुका था। 
 
रामवृक्ष यादव और उसकी सरपस्ती में रहने वाले अवैध कब्जाधारी की जो मांगें थीं, वे भी अजीबोगरीब थीं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे और यकीनन इस सरगना को 'पागल' की उपाधि देने से नहीं चूकेंगे। उसका यह नारा था कि आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन करना होगा। अब यह भी जान लीजिए कि इन सत्याग्रहियों मांगें क्या थीं? इनकी मागें थीं-
1. पेट्रोल-डीजल के दाम एक रुपए/ लीटर की जाए। 
2. देश में सोने के सिक्कों का प्रचलन किया जाए। 
3. देश में आजाद हिंद फौज के कानून लागू किया जाए। 
4. जवाहरबाग की 270 एकड़ जमीन सौंप दी जाए। 
5. आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन शुरू की जाए। 
6. पूरे देश में मांसाहार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। 

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