वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि पंजीकृत एनबीएफसी (म्युचुअल फंड को छोड़कर) कंपनियां की ओर से कृषि, सूक्ष्म एवं छोटे उद्यम और आवास क्षेत्र को निर्धारित दायरे में दिए गए कर्ज को प्राथमिक क्षेत्र के कर्ज के रूप में माना जाएगा। रिजर्व बैंक ने कहा कि इन क्षेत्रों के उधारदाताओं को कर्ज देने में तेजी लाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
संशोधित नियमों के मुताबिक एनबीएफसी कंपनियां की कृषि क्षेत्र के लिए सीमा 10 लाख रुपए प्रति कर्जदार होगी।
सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के मामले में यह सीमा 20 लाख रुपए होगी। आवास क्षेत्र के लिए सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपए से 20 लाख रुपए किया गया है। इस कर्ज को प्राथमिकता वाला कर्ज माना जाएगा।
वहीं दूसरी ओर, आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को नियामकीय उद्देश्यों के लिए गैर वित्तीय बैंकिंग कंपनी (एनबीएफसी) की एक श्रेणी के रूप में माना जाएगा। ये कपनियां सीधे उसकी निगरानी में आएंगी।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) आवास वित्त कंपनी के नियामक के रूप में काम नहीं करेगा। केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के बाद रिजर्व बैंक का यह निर्देश आया है।