मुंबई। कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के एक बार फिर बढ़ने के बीच अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को ब्याज दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनाए रखा, जबकि खुले बाजार से इस तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपए के सरकारी बांड खरीदने के कार्यक्रम की घोषणा की, ताकि बैंकिंग तंत्र में धन का प्रवाह ठीक बना रहे।
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 की पहली मौद्रिक समीक्षा में कहा कि वृद्धि को बनाए रखने के लिए जब तक जरूरी होगा, उदार रुख को बरकरार रखा जाएगा। आरबीआई की प्रमुख उधारी दर रेपो दर चार प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो रेट या केंद्रीय बैंक की उधारी दर 3.35 प्रतिशत पर यथावत है। पिछले साल महामारी के चलते अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए रेपो दर में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती की गई थी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। उन्होंने कहा, सभी की सहमति से यह भी निर्णय लिया कि टिकाऊ आधार पर वृद्धि को बनाए रखने के लिए जब तक जरूरी हो, उदार रुख को बरकरार रखा जाएगा और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने के प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के भीतर बनी रहे।
इसी तरह सीमांत स्थाई सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष में यह पहली द्विमासिक नीतिगत समीक्षा बैठक है। गवर्नर ने द्वितीयक बाजार सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम या जी-सैप 1.0 की घोषणा भी की, जिसके तहत आरबीआई ने खुले बाजार से सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने की प्रतिबद्धता जताई।
इसके तहत अप्रैल-जून के दौरान एक लाख करोड़ रुपए के बांड खरीदे जाएंगे, और पहली खरीद 15 अप्रैल से शुरू होगी। आरबीआई ने बीते वित्त वर्ष (2020-21) के दौरान तीन लाख करोड़ रुपए के बांड खरीदे थे। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 10.5 प्रतिशत की वृद्धि लक्ष्य को बरकरार रखा है।
दास ने कहा कि हाल में कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है। साथ ही उन्होंने वायरस के प्रकोप को रोकने और आर्थिक सुधारों पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा, ताकि उत्पादक क्षेत्रों को ऋण आसानी से मिले। उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत पर रहेगी।इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।
दास ने कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में पांच प्रतिशत के स्तर पर बनी रही, हालांकि कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा (4+2%) को तोड़ने की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी।
दास ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों से पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से कुछ राहत मिली है। हालांकि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और लॉजिस्टिक लागतों के चलते विनिर्माण और सेवाएं महंगी हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच प्रतिशत किया गया है। इसी तरह मुद्रास्फीति के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 5.1 प्रतिशत हैं।
इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। आरबीआई ने राज्यों के लिए 51,560 करोड़ रुपए की अंतरिम अर्थोपाय अग्रिमों (डब्ल्यूएमए) की सीमा को सितंबर तक बढ़ा दिया, ताकि उन्हें कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर से पैदा हुए वित्तीय तनाव से निपटने में मदद मिल सके।
डब्ल्यूएमए आरबीआई द्वारा राज्यों को दी जाने वाली अल्पकालीन उधारी है, ताकि आय और व्यय के अंतर को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही आरबीआई ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल डब्ल्यूएमए सीमा को बढ़ाकर 47,010 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कर दिया है।
इसके अनुसार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल डब्ल्यूएमए सीमा को बढ़ाकर 47,010 करोड़ रुपए करने का निर्णय लिया गया है, जो फरवरी 2016 में तय 32,225 करोड़ रुपए की सीमा के मुकाबले 46 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड को 25,000 करोड़ रुपए, राष्ट्रीय आवासीय बैंक (एनएचबी) को 10,000 करोड़ रुपए और सिडबी को 15,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।(भाषा)