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कौन तोड़ेगा पं. जवाहरलाल नेहरू का रिकॉर्ड?

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नई दिल्ली , सोमवार, 14 अगस्त 2017 (22:40 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के पदार्पण के बाद कांग्रेस भले ही सिमटती जा रही हो लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का उससे जुड़े प्रधानमंत्रियों पं. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड अगले कई वर्षों तक टूटना मुश्किल है।
       
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल चौथी बार लालकिले के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। लालकिले पर सबसे अधिक 17 बार झंडा फहराने का रिकॉर्ड देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम है। उन्होंने पहले स्वतंत्रता दिवस से लेकर 1963 तक लगातार 17 वर्ष लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।  
 
उनके बाद सबसे अधिक 16 बार तिरंगा फहराने का मौका पंडित नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी को मिला। उन्होंने 1966 से लेकर 1976 तक 11 बार तथा 1980 से लेकर 1984 तक पांच बार लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।  नेहरू गांधी परिवार के एक अन्य सदस्य राजीव गांधी को पांच बार यह सम्मान मिला। 
 
नेहरू, इंदिरा के बाद सबसे अधिक 10 बार राष्ट्रीय ध्वज फहराने का मौका डॉ. मनमोहन सिंह को मिला। 
उन्होंने 2004 से लेकर 2013 तक लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराया।  अगर कांग्रेस की बात की जाए तो उसके प्रधानमंत्रियों ने 70 वर्ष के इतिहास में 55 बार लालकिले पर तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। इसमें से 38 बार यह गौरव नेहरू गांधी परिवार के सदस्यों को मिला। कांग्रेस नेता पीवी नरसिंह राव ने पांच बार तथा पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद देश की बागडोर संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने दो बार लालकिले के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
 
लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराने वाले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों में अटलबिहारी वाजपेयी सबसे आगे हैं। उन्होंने छ:  बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद मोदी हैं, जो अब तक तीन बार तिरंगा फहरा चुके हैं।आपातकाल के बाद 1977 में देश में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व करने वाले मोरार जी देसाई को दो बार लालकिले की प्राचीर पर झंडा फहराने का मौका मिला। चार प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह एवं विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल को एक-एक बार यह सम्मान मिला।
      
चंद्रशेखर एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें लालकिले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने और राष्ट्र को संबोधित करने का अवसर नहीं मिला। पंडित नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु होने के समय दो बार कुछ कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले गुलजारी लाल नंदा को भी यह राष्ट्रीय अवसर नहीं मिला।
(वार्ता)

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