नई दिल्ली। किसी ने सच ही कहा है कि प्यार अंधा होता, वरना मुम्बई का इंजीनियर हामिद अंसारी प्यार में पड़कर 2012 में अवैध रूप से अफगानिस्तान से पाकिस्तान ही नहीं जाता और अभी सलाखों के पीछे नहीं होता। चार साल बाद अपने बेटे की बस आवाज सुनने के लिए आतुर उसके माता-पिता फौजिया अंसारी और नेहाल अंसारी ने दिल्ली के धरना स्थल जंतर मंतर पर टेंट लगा लिया है और अब उन्होंने प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाया है।
फौजिया ने कहा, ‘पिछली दफा जब मैंने उससे बातचीत की थी तब 10 नवंबर, 2012 का दिन था। उसने मुझसे कहा था कि वह 12 नवंबर को मुम्बई लौट आएगा और वह पढ़ाने का काम हाथ में लेने को सोच रहा था।’ भला उसे (फौजिया को) क्या मालूम था कि पाकिस्तान में कुछ लोगों, जिन्होंने संभवत: उसे फंसाया, के बहकावे में हामिद की झूठी बहादुरी परिवार को निराशा के गर्त में डाल देगी और अब उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही।
शरीफ को फौजिया द्वारा लिखे पत्र में कहा गया था, ‘हामिद को जेल से ही हमसे बात करने दीजिए। हमने चार सालों से भी अधिक समय से उससे बात नहीं की। कृपया, उसे दूतावास पहुंच उपलब्ध कराइए, जिससे उसे अब तक वंचित रखा गया है।’
फौजिया ने कहा, ‘सुषमाजी ने बहुत सहयोग किया। हमारी पिछली भेंट इस साल अगस्त में हुई। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले को देख रही है।’उन्होंने कहा कि परिवार इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपेगा।
मुम्बई की एक कॉलेज की व्याख्याता फौजिया ने बताया कि हामिद की एक लड़की से ऑनलाइन दोस्ती हुई और वह उससे मिलने कथित रूप से पाकिस्तान चला गया। उस लड़की की उसके परिवार वाले जबरन किसी अन्य से शादी करा रहे थे।
इस साल जनवरी में ही फौजिया और नेहाल को पेशावर उच्च न्यायालय में पाकिस्तान सरकार के इस कथन से इस बात की जानकारी मिली। एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पाकिस्तान सरकार ने कहा कि हामिद सैन्य हिरासत में है। पाकिस्तान में दाखिल होने के शीघ्र बाद हामिद को गिरफ्तार कर लिया गया और पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने उसे तीन साल की कैद की सजा सुनाई।
फौजिया ने कहा, ‘चूंकि वह 2012 से जेल में है, ऐसे में वह सजा पहले ही पूरी कर चुका है, लेकिन उसे कब रिहा किया जाएगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। सबसे परेशान करने वाली बात है कि हादिम को जीन शहजादी नामक जिस महिला ने मदद करने की कोशिश की थी, जान पड़ता है कि उसे वहां एजेंसियों ने निशाना बनाया। वह लापता हो गई हैं।’
इस दौरान फौजिया ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से पत्र लिखा, वह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से पांच बार मिलीं। उनका कहना है कि मैं उनसे इतनी बार मिली हूं कि वह दूर से ही पहचान जाती हैं।’
फौजिया ने कहा, ‘सुषमाजी ने बहुत सहयोग किया। हमारी पिछली भेंट इस साल अगस्त में हुई। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले को देख रही है।’ उन्होंने कहा कि परिवार इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपेगा। (भाषा)