मुंबई। रिजर्व बैंक ने आम धारणा के मुताबिक प्रमुख नीतिगत दर में बुधवार को कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन राज्यों के बीच कृषि ॠण माफी को लेकर जारी होड़ को देखते हुए राजकोषीय स्थिति बिगड़ने को लेकर चिंता जरूर जताई।
केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया। एसएलआर के तहत बैंकों को निर्धारित हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है। शीर्ष बैंक के इस कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अधिक नकदी बचेगी।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की यहां हुई पांचवीं बैठक में रेपो दर को 6.25 प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया। रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को अल्पावधि कर्ज देता जबकि रिवर्स रेपो के अंतर्गत आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी को लेता है।
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख के अनुरूप है। साथ ही यह कदम वृद्धि को समर्थन देने तथा मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के 2 प्रतिशत घटबढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य के मुताबिक है। (भाषा)