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बहुत ही पीड़ादायक है मासूमों की मौत

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हमें फॉलो करें Richa Anirudh on Peshawar Attack
ऋचा अनिरूद्ध मीडिया की दुनिया का एक जरूरी नाम है। ऋचा महिला और बच्चों के मुद्दों पर एक प्रभावशाली आवाज हैं। टेलीविजन और रेडियो- इन दोनों ही माध्यमों से वे नियमित तौर पर औरतों के मुद्दों पर बहस खड़ी कर रही हैं। हाल में निर्भया की दूसरी बरसी पर आईबीएन-7 पर उनका एक विशेष कार्यक्रम खासा चर्चित रहा था। पेश है पाकिस्तान की हाल की घटना पर उनके विचार। -वर्तिका नन्दा
 
आतंकवादी हमले में पेशावर आर्मी स्कूल के बच्चों की मौत से दुखी टीवी पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने कहा कि मासूमों की मौत पाकिस्तान या हिन्दुस्तान का मामला नहीं है, यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही दुख की घड़ी है। जब मुझे पता चला कि आतंकी हमले में क्लास-9 पूरी तरह खत्म हो गई। इसमें मौजूद सभी बच्चे मारे गए, जिनकी उम्र 14 वर्ष के आसपास रही होगी। इससे मुझे बहुत झटका लगा क्योंकि मेरी बच्ची जिसकी उम्र भी 14 साल है और वह भी 9वीं में ही पढ़ती है। 
 
उन्होंने कहा कि इस हादसे को तीन दिन हो गए हैं, लेकिन मैं दुख से उबर नहीं पा रही हूं। यह किसी भी इन्सान के साथ हो सकता है। बार-बार यह सोचकर काफी पीड़ा होती है कि 125 घरों ने अपने बच्चे खोए हैं, उनकी क्या स्थिति होगी। उन मांओं के दर्द का अनुमान लगाना मुश्किल है, जिन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े हमेशा के लिए खो दिए। 
 
ऋचा कहती हैं- इस घटना पर तमाम तरह के विश्लेषण निरर्थक हैं। किसने किया, क्यों किया इसके कोई मायने नहीं हैं। उन बच्चों के मन में किसी के प्रति नफरत नहीं हो सकती। वे भी हमारे बच्चों की तरह ही थे। एक मां होने के नाते उन परिवारों का और उन माताओं का दर्द मैं अच्छी तरह समझ सकती हूं। यह हादसा बहुत ही दर्दनाक है, पीड़ादायक है।   

... और वे भावुक क्षण : पेशावर में मासूम फरिश्तों की मौत से हर कोई भीतर तक हिल गया था। 16 दिसंबर को IBN7 पर इस दर्दनाक हादसे का समाचार प्रस्तुत करते समय ऋचा काफी भावुक हो गईं थीं और समाचार प्रस्तुति बीच में ही रोकना पड़ी। तब उनके सहयोगी सुमित अवस्थी ने कहा कि चूंकि ऋचा एक महिला हैं और काफी भावुक हैं इसलिए वे खुद को रोक नहीं पाईं। दूसरे दिन 17 दिसंबर को भी ऐसा ही हुआ। ऋचा कहती हैं कि जब बच्चों की उम्र और क्लास के बारे में पता लगा तो अचानक मेरी बेटी का चेहरा मेरे सामने घूम गया। वह भी उन्हीं बच्चों की उम्र की है। मैं खुद को संभाल नहीं पाई। वे कहती है कि  कुछ भी हो, हम पत्रकार होने से पहले एक इन्सान हैं। हम सबने भी देखा है कि किस तरह पाकिस्तान की एक एंकर इस घटना के बाद रो पड़ी थी।

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