RSS chief Mohan Bhagwat News : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले और उसके बाद भारत द्वारा की गई कार्रवाई के पश्चात राजनीतिक वर्ग में दिखी आपसी समझ जारी रहनी चाहिए और एक स्थाई विशेषता बननी चाहिए। भागवत ने आरएसएस स्वयंसेवकों के लिए आयोजित कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, समाज ने एकता का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा, इस जघन्य आतंकी हमले के बाद लोग दुखी और आक्रोशित थे और चाहते थे कि दोषियों को सजा मिले। कार्रवाई की गई और सजा दी गई।
भागवत ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद की गई कार्रवाई में सभी ने देश के निर्णय करने वालों का साहस देखा। उन्होंने कहा, पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद कार्रवाई की गई। इसमें एक बार फिर हमारी सेना का पराक्रम दिखा। प्रशासन की दृढ़ता भी देखने को मिली।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, राजनीतिक वर्ग ने भी आपसी समझ दिखाई। समाज ने भी एकता का संदेश दिया। यह जारी रहना चाहिए और स्थाई होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के मामलों में आत्मनिर्भर होना चाहिए। पाकिस्तान का नाम लिए बगैर भागवत ने कहा, जो लोग भारत से सीधी लड़ाई नहीं जीत सकते, वे हजारों घाव देने की नीति और छद्म युद्ध छेड़कर हमारे देश को लहूलुहान करना चाहते हैं।
पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और पीवी नरसिंह राव के मंत्रिमंडल में शामिल रहे आदिवासी नेता अरविंद नेताम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय नाम से आयोजित 25 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में देशभर से 840 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। यह शिविर 12 मई को नागपुर के रेशिमबाग क्षेत्र में स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर में शुरू हुआ था।
छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले नेताम ने कहा कि किसी भी राज्य सरकार ने धर्मांतरण के मुद्दे को अब तक गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आरएसएस ही एकमात्र संस्था है जो इस क्षेत्र में हमारी मदद कर सकती है। नेताम ने कहा कि आरएसएस को नक्सलवाद समाप्त होने के बाद केन्द्र सरकार पर कार्ययोजना बनाने के लिए दबाव डालना चाहिए, ताकि यह समस्या फिर से न पनपे।
नेताम ने कहा कि किसी भी सरकार ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 या पेसा को लागू नहीं किया। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार चुप है और यहां तक कि उद्योगपतियों की मदद कर रही है। पेसा अधिनियम का उद्देश्य ग्राम सभाओं के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन सुनिश्चित करना, उन्हें संसाधनों का प्रबंधन करने तथा अपने समुदायों से संबंधित निर्णय लेने में सशक्त बनाना है, का एक शक्तिशाली उदाहरण भी है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour