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दुर्बल और असंगठित रहना अपराध है, नागपुर में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शनिवार, 12 अक्टूबर 2024 (09:40 IST)
RSS mohan bhagwat speech in Ngapur : हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में जो हुआ वो कोई नई बात नहीं है। दुनिया के कई देशों में ऐसा होता रहता है। जनतांत्रिक तरीके से चुनकर आने वाली सरकारों को गिराया जाता है। नैरेटिव सेट किया जाता है और इस तरह से चीजें चलती रहती हैं। लेकिन याद रखना होगा कि जिस बांग्लादेश की स्थापना में भारत का इतना महत्वपूर्ण योगदान रहा वहां हिंदू समुदाय पर अत्याचार ठीक नहीं है। दुर्बल हिंदुओं पर कट्टरपंथियों के अत्याचार की ये परंपरा ठीक नहीं है। लेकिन दूसरी तरफ मैं कहना चाहूंगा कि दुर्बल और असंगठित रहना अपराध है। उन्होंने कहा कि दुर्बलों की मदद देव भी नहीं करते। इसलिए हमें दुर्बलता से ऊपर उठना होगा! बांग्लादेश को कौन बहका रहा है किसी से छुपा नहीं है।  
शनिवार को नागपुर में दशहरे पर्व के मौके पर आरएसएस के शस्त्र पूजन कार्यक्रम के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने सीमावर्ती देशों से सतर्क रहना है। इन कुप्रयासों को समझकर हमें उनसे बचना होगा। इसके लिए एक राष्ट्रीय नैरेटिव चलाना होगा। समाज को जागरूक करना होगा।

कुछ ताकते चाहती हैं कि भारत आगे न बढे : उन्होंने कहा कि भातर आगे न बढे इसके लिए कुछ ताकतें सक्रिय हैं। भारत हर क्षेत्र में बढ रहा है। देश परचम लहरा रहा है। लेकिन कई शक्तियां भारत को पीछे करना चाहती हैं। हमें संगठित और शसक्त रहना होगा। गुंडागर्दी को किसी को सेंशन नहीं है, लेकिन अपना और अपनों की रक्षा करना हमारा मूलभूत अधिकार है। इसके लिए सजग रहना होगा। परिस्थितियां ही ऐसी हैं, इसलिए ऐसा कह रहा हूं, किसी को डराने के लिए या ऐसा करने के लिए नहीं कह रहा हूं।

कोलकाता का रेपकांड कलंकित करने वाला : मोहन भागवत ने कहा कि कोलकाता के आरजी कर कॉलेज में बालिका के साथ जो हुआ वो हमें कलंकित करने वाला है। लेकिन हमें घटना न हो इसके लिए साथ में खड़े रहना होगा। जैसे वहां डॉक्टरों के साथ लोग खड़े रहे। माता सीता का अपहरण पर रामायण हो गई। ठीक ऐसे ही द्रोपदी का एक वस्त्र छुआ गया और महाभारत हो गई। तो हमें भी ऐसे खडे रहना होगा।  
 
सारे पर्व हिंदू समाज मिलकर मनाए : वाल्मिकी जयंती सिर्फ वाल्मिक समाज क्यों मनाएं। यह तो पूरे हिंदू समाज का पर्व है, सबको मनाना चाहिए। हर हिंदू पर्व सारे हिंदू मिलकर मनाए। बंटकर या अपनी अपनी जाति वर्ग के लिए ऐसा करे यह ठीक नहीं है। इसके लिए समाज के पास जाना होगा, हम जाएंगे और हिंदू समाज को संगठित करेंगे। हमें अपनी दुर्बल जातियों के लिए मिलकर क्या कर सकते हैं। यह हमें सोचना होगा। हमें उनके पास जाना होगा। 
 
पर्यावरण की समस्या बडी समस्या है। पूरी दुनिया इससे जूझ रही है। या तो अत्याधिक बारिश या फिर इतनी कम की गर्मी से मुंह में छाले हो जाए। पूरी दुनिया इस पर विचार कर रही हैं। हमारे मौसम बदल गए। जंगल खत्म हो रहे। नदियां सूख गई। पर्वत दरक रहे हैं, भूमि फट रही हैं। सब्जियों में कैमिकल है। हमारा पानी अशुद्ध हो गया। हर जगह मिलावट है। जैविक खाद्य के बगैर खेती नहीं हो रही है, ऐसा पर्यावरण हो गया है।  
 
मोबाइल पर कंट्रोल नहीं : श्री भागवत ने कहा कि देश में मीडिया सक्रिय है, हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है। कौन क्या देख रहा है, कौन क्या चला रहा है और क्या नैरेटिव बन रहा है इस पर कोई कंट्रोल नहीं है। बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल पर मां बाप का कंट्रोल नहीं है। घर के वातावरण से घर की संस्कृति बनती है। आत्मवत का भाव होना चाहिए, मैं ही सबकुछ हूं ऐसा नहीं है। यह प्रशिक्षण घर में होता है। इसलिए घर में वैसा वातावरण बनाना चाहिए। मनिषियों ने किसी से भेदभाव नहीं किया। यह शिक्षा से आता है, लेकिन इसके पहले घर और सामाजिक वातावरण से आता है इसलिए हमें घर और समाज का वातावरण सुसंस्कृतिक बनता है। समाज के मन को गढने वाले लोगों को इस बात की चिंता करना चाहिए कि यह कैसे किया जाए क्योंकि समाज उन्हीं का अनुसरण करते हैं।Edited By Navin Rangiyal

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