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विदेश सचिव 1 मार्च से करेंगे 'सार्क यात्रा'

हमें फॉलो करें विदेश सचिव 1 मार्च से करेंगे 'सार्क यात्रा'
नई दिल्ली , बुधवार, 25 फ़रवरी 2015 (19:04 IST)
-शोभना जैन

नई दिल्ली। पाकिस्तान के साथ रिश्तों में रह-रहकर जम जाने वाली बर्फ पिघलाने और पाकिस्तान सहित सभी दक्षेस देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने के लिए भारत की तरफ से एक नई पहल बतौर विदेश सचिव डॉ. एस. जयशंकर अपनी चर्चित 'सार्क यात्रा' के तहत आगामी तीन मार्च को पाकिस्तान जाएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आज यहां सार्क यात्रा के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यात्रा के पहले चरण में चार देशों की यात्रा की तारीखों की घोषणा करते हुए यह जानकारी दी। 
 
प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर हो रही सार्क यात्रा के पहले चरण में विदेश सचिव क्रमश भूटान, बांग्‍लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का दौरा करेंगे। उनकी यात्रा का पहला पड़ाव एक मार्च को भूटान होगा। दो मार्च को वे बांग्‍लादेश तथा तीन मार्च को पाकिस्तान के बाद चार मार्च को अफगानिस्तान की यात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि दक्षेस के अन्य सदस्य देशों, श्रीलंका, नेपाल तथा मालदीव की यात्रा की तारीखें राजनयिक तौर पर तय की जा रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन देशों का दौरा भी अगले माह ही होगा। 
 
ऐसे उम्मीद है कि भारत के विदेश सचिव डॉ. एस. जयशंकर पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज चौधरी के साथ दक्षेस को मजबूत करने के अलावा उनके साथ द्विपक्षीय मसलों पर भी चर्चा करेंगे। इन सभी देशों की यात्राओं के दौरान विदेश सचिव अपने समकक्षों से दक्षेस को मजबूत करने के अलावा उभयपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा करेंगे। गत अगस्त में दोनों देशों के बीच प्रस्तावित विदेश सचिव स्तर की यात्रा पाकिस्तान के नकारात्मक रवैए की वजह से अंतिम समय में रद्द होने के बाद से दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्तर की यह पहली वार्ता होगी।
 
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 13 फरवरी को क्रिकेट विश्व कप के आयोजन से पहले दक्षेस क्षेत्र को क्रिकेट की डोर से जोड़ते हुए क्रिकेट विश्व कप के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, श्रीलंका के राष्ट्रपति श्रीपाला सिरीसेना और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अब्दुल गनी को फोन कर विश्व कप में हिस्सा ले रही उनकी टीमों के लिए बधाई दी थी। उसी के बाद प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की थी कि विदेश सचिव डॉ. एस. जयशंकर दक्षेस देशों के साथ रिश्‍ते मजबूत करने के लिए जल्द ही दक्षेस देशों की यात्रा करेंगे। 
 
यात्रा में दक्षेस को आगे बढ़ाने की भारत की प्राथमिकता के प्रयासों पर चर्चा के साथ पाकिस्तान सहित अन्य दक्षेस देशों के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के प्रवक्ता ने भी तब कहा था कि शरीफ ने ‘साझा हितों के मुद्दों पर चर्चा के लिए’ भारत के विदेश सचिव की प्रस्तावित यात्रा का स्वागत किया है। 
 
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी व विदेश मंत्री ने कार्यभार संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा के लिए दक्षेस सदस्य देश भूटान को ही चुना था। प्रधानमंत्री अब तक कामकाज संभालने के बाद से भूटान के बाद नेपाल की यात्रा कर चुके हैं। अगले माह उनका दो अन्य दक्षेस देश श्रीलंका व मालदीव जाने का भी कार्यक्रम है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी अब तक भूटान के अलावा बांग्‍लादेश, नेपाल व मालदीव की द्विपक्षीय यात्रा कर चुकी हैं। 
 
अकबरुद्दीन ने गत 13 फरवरी को विदेश सचिव की सार्क यात्रा के दौरान पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत किए जाने की बाबत पूछे जाने पर कहा था, जाहिर है, को कोई हाथ से जाने नहीं देता। उन्होंने कहा, सभी दक्षेस देशों के साथ हमारा द्विपक्षीय एजेंडा है और हम इन सभी देशों की संक्षिप्त यात्राओं के दायरे में ही द्विपक्षीय एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे। हर नेता और राजनयिक द्विपक्षीय एजेंडा को आगे बढ़ाने के हर अवसर का इस्तेमाल करता है, इन अवसरों को खोना नहीं चाहता है। 
 
हालांकि प्रवक्ता ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर विदेश सचिव की यात्रा मुख्यत: दक्षेस एजेंडा पर केन्द्रित होगी जो कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले नवंबर में काठमांडू में आयोजित दक्षेस शिखर सम्मेलन में रेखांकित किया था। उन्होंने कहा कि यह यात्रा मुख्यत: भारत की दक्षेस नीति को आगे बढ़ाने के प्रयासों का अंग है। इसमें दक्षेस देशों के लिए समर्पित उपग्रह, दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय और मेडिकल वीजा को आसान बनाना आदि मसले शामिल हैं। 
 
गौरतलब है कि गत वर्ष 26 मई को प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने की नई पहल के तहत मॉरीशस तथा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्‍लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान तथा मालदीव, सभी दक्षेस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रित किया था, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित सभी के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया था। 
 
उसके बाद काठमांडू दक्षेस शिखर बैठक में फिर दक्षेस शिखर नेताओं की मुलाकात हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी व शरीफ के बीच कुछ हिचकिचाहट के साथ हाथ तो मिले लेकिन दक्षेस दायरे से हट अलग से कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हो पाई। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य बनाने की भारत समय-समय पर पहल करता रहा है, लेकिन उसकी परिणति पाकिस्तान की तरफ से नकारात्मक रहती आई है।
 
भारत को पिछले साल अगस्त में पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तरीय वार्ता अंतिम समय में इसलिए रद्द कर देनी पड़ी थी क्योंकि पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने भारत की चिंताओ को दरकिनार कर नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में अपने यहां कश्मीरी अलगववादियों से विचार-विमर्श के लिए बुलाया था। उसके बाद पाकिस्तान द्वारा भारत पाक सीमा पर लगातर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने और भारत विरोधी गतिविधियां जारी रखने से तल्खियां बढ़ती गईं। अब भारत ने एक नई उम्मीद के साथ दक्षेस क्षेत्र में साझा तौर पर मिलकर प्रगति करने के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने की फिर से एक नई पहल की है। (वीएनआई)

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