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प्यार में नाकाम होने के बाद सब्‍जार बना था आतंकी

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। शनिवार को सुरक्षाबलों ने त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन के एक और कमांडर सब्‍जार भट को मार गिराया है। चंडीगढ़ कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सब्जार को पिछले वर्ष जुलाई में उस समय हिजबुल का कमांडर बनाया गया था जब बुरहान वानी को एनकाउंटर में मार गिराया गया था। सब्जार को घाटी में एक आतंकी के तौर पर चिन्हित किया गया था। आइए, जानते हैं सब्जार भट कौन था और हिजबुल में इसका कद कितना बड़ा था...
 
सब्जार की उम्र सिर्फ 21 वर्ष थी और वह बुरहान वानी के काफी करीब था। अप्रैल वर्ष 2015 में वह हिजबुल का हिस्सा बना था। उसे महमूद गजनवी भी कहते थे और कुछ लोग उसे ‘सब का डॉन’ सब्जार भी कहते थे। सब्‍जार ने हिजबुल में शामिल होने का फैसला तब लिया जब वानी के भाई को एनकाउंटर में मार गिराया गया था। हिजबुल के मुखिया सईद सलाहुद्दीन ने खुद सब्‍जार के नाम का ऐलान एक लोकल न्यूज एजेंसी के जरिए किया था।
 
वानी की ही तरह सब्‍जार भी साउथ कश्मीर का रहने वाला था। वह वानी के बचपन का दोस्त था। उसने चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की थी। वानी से अलग सब्‍जार कभी भी सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं था। सब्‍जार के पिता भी एक सरकारी कर्मी हैं और वानी के भाई खालिद की मौत के बाद उसने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी। उसने लिखा था कि वह अब कश्मीरियों पर हो रहे जुल्मों को और बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
 
कहा जाता है कि सब्‍जार एक लड़की से प्यार करता था लेकिन उसके परिवार वालों ने सब्‍जार के साथ उसकी शादी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद सब्‍जार ने अपनी रिलेशनशिप उससे खत्म करके आतंकवाद की दुनिया में आ गया। वानी के बचपन का दोस्त सब्‍जार हिजबुल मुजाहिदीन के लिए उस समय काफी अहम हो गया जब वह सुरक्षाबल के ऑफिसर की राइफल को छीनकर भाग गया था।
 
सब्‍जार ने उसमें लिखा था कि वह अब वह जेहाद का हिस्सा बनेगा। वह काफी छोटी उम्र से ही आतंक की दुनिया में सक्रिय था। वह कई विरोध प्रदर्शनों का भी हिस्सा रहा था जिसमें वर्ष 2010 में हुआ विरोध प्रदर्शन भी शामिल था। इसके बाद वह चंडीगढ़ चला गया और वहां अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन जब वह वापस लौटा तो उसे लगा कि अब उसे कश्मीर के लिए लड़ने की जरूरत है।
 
पिछले दिनों हिजबुल के जाकिर मूसा ने संगठन को छोड़कर अलकायदा में जाने का ऐलान किया था। उसके बाद हिजबुल की ओर से कोई ऐलान तो नहीं किया गया लेकिन सब्‍जार, मूसा के जाने के बाद से ही हिजबुल का ऑपरेशनल चीफ था। 

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