26th Kargil Vijay Diwas: 26वें कारगिल विजय दिवस (26th Kargil Vijay Diwas) के अवसर पर एक अत्यंत मार्मिक श्रद्धांजलि देते हुए शहीद सिपाही दिनेश भाई के भाई राजेश भाई उस धरती पर लौट आए, जहां उनके भाई ने राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। कारगिल युद्ध स्मारक (Kargil War Memorial) पर खड़े होकर राजेश ने अपने हाथों में अपने भाई की एक अनमोल स्मृति चिह्न, डायरी (diary) , जो सैनिक के अंतिम दिन तक सुरक्षित रखी गई थी, थामे रखी थी। डायरी के घिसे हुए पन्ने उस व्यक्ति के अंतरमन की एक दुर्लभ और भावपूर्ण झलक पेश करते थे जिसने कर्तव्य को सर्वोपरि चुना।
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इस डायरी में मेरे भाई की आत्मा समाई है : 'यह डायरी केवल शब्दों से भरी नहीं है, इसमें मेरे भाई की आत्मा समाई है' राजेश ने भावुक स्वर में कहा था। यह उनके समर्पण, अनुशासन और भारतमाता के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है। टाइगर हिल की ओर इशारा करते हुए वह ऐतिहासिक युद्धक्षेत्र जहां सिपाही दिनेश भाई ने असाधारण साहस के साथ युद्ध लड़ा था, राजेश ने अपने भाई के बलिदान की महत्ता पर विचार किया। जब भी मैं टाइगर हिल को देखता हूं, मुझे सिरर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि अपने भाई का साहस, उसका खून और हमारे परिवार और देश के लिए उसका गौरव दिखाई देता है। यह एक ऐसी याद है, जो हमेशा मेरे दिल में बसी रहेगी।
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सेना में शामिल होने से पहले एक शिक्षक थे : युद्ध के मैदान में उतरने से पहले अपने भाई के जीवन के बारे में और बताते हुए राजेश ने बताया कि दिनेश भाई भारतीय सेना में शामिल होने से पहले एक शिक्षक थे। उन्होंने एक स्थिर शिक्षण नौकरी छोड़ दी, क्योंकि उन्हें एक महान प्रेरणा का एहसास हुआ। उनका मानना था कि ज्ञान तो जरूरी है ही, साथ ही देश को ऐसे बहादुर दिलों की भी जरूरत है, जो उसकी रक्षा के लिए तैयार हों।
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मेरे भाई ने हमारा नाम रोशन किया : राजेश ने अपने पीछे छोड़ी गई इस स्थायी विरासत के बारे में बड़े गर्व के साथ बताते हुए कहा कि मेरे भाई ने हमारा नाम रोशन किया है। उनके बलिदान ने उन्हें अमर कर दिया है। हम उनकी याद को हर दिन अपने साथ रखते हैं। जैसे-जैसे देश कारगिल विजय दिवस पर अपने नायकों को याद कर रहा था, राजेश भाई की श्रद्धांजलि वर्दी के पीछे छिपे परिवारों की एक जबरदस्त याद दिला रही थी- उस प्रेम, बलिदान और गौरव की, जो युद्ध समाप्त होने के बाद भी लंबे समय तक बना रहता है।
Edited by: Ravindra Gupta