अगर आप पनीर के शौकीन हैं, तो यह खबर आपके लिए है! इंदौर के नामी होटलों और रेस्तरां में परोसे जा रहे पनीर की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। वेबदुनिया की पड़ताल में सामने आए तथ्य आपको हैरान कर देंगे। खाद्य विभाग की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पिछले 6 महीनों में 20 से ज्यादा पनीर सैंपल अमानक पाए गए हैं। जी हां, अधिकारियों के मुताबिक 10 में से 5 सैंपल फेल हो रहे हैं!
खाद्य पदार्थों में लगातार हो रही मिलावट के बाद अब सरकार होटल और रेस्तरांओं पर सख्ती बरतने के लिए कमर कस ली है। अब होटल और रेस्तरांओं के मालिकों को यह बताना होगा कि वे ग्राहकों को परोसे जाने वाले किन व्यंजनों में दूध से बने पनीर दे रहे हैं या गैर-डेयरी उत्पाद से तैयार पनीर (एनालॉग पनीर) का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा नहीं करने पर उन पर कार्रवाई होगी।
एनालॉग पनीर गैर-डेयरी में लेबल : मिलावटखोरी के बढ़ते चलन के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इसे लेकर गाइड लाइन जारी की है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने उपभोक्ताओं को धोखा देने से रोकने के लिए पनीर बनाने वालों के लिए एनालॉग पनीर को 'गैर-डेयरी' के रूप में लेबल करना अनिवार्य कर दिया है। हालांकि फिर भी ग्राहक बताए बगैर होटलों में एनालॉग पनीर परोसा जा रहा है।
क्या होता है एनालॉग पनीर? (What is Analogue Paneer?)
इंदौर में डेयरी पनीर के इतर एनालॉग पनीर का इस्तेमाल बढा है। कई होटलों और रेस्त्राओं में इसका इस्तेमाल धडल्ले से हो रहा है। सवाल है कि आखिर एनालॉग पनीर क्या है। इसका सीधा जवाब है नकली पनीर। एनालॉग पनीर ऐसा प्रोडक्ट है जो दिखने में बिल्कुल असली दूध से बने पनीर जैसा लगता है, स्वाद भी लगभग वैसा ही होता है, लेकिन असल में इसमें दूध नहीं होता या फिर दूध के तत्वों को आंशिक रूप से सब्जी तेल (vegetable oil), स्टार्च और इमल्सिफायर्स जैसी चीजों से बदल दिया जाता है। जो मलाईदार पनीर आपको अपनी सब्जी में दिख रहा है, वो हकीकत में एक केमिकल और तेल का घोल हो सकता है। जबकि असली पनीर ताजे दूध को नींबू के रस या सिरके से फाड़कर बनाया जाता है। एनालॉग पनीर वेजिटेबल ऑयल, स्टार्च, इमल्सीफायर और कभी-कभी बेहद घटिया क्वालिटी के तत्व मिलाकर तैयार किया जाता है। FSSAI के मुताबिक, ऐसा पनीर जिसमें दूध के घटकों पूरी तरह या आंशिक रूप से नॉन-डेयरी सामग्रियों से बदला गया हो, उसे एनालॉग पनीर कहा जाता है।
क्यों करते हैं एनालॉग पनीर का इस्तेमाल : दरअसल, पनीर की मांग और कई तरह की सब्जियों में डालने की वजह से अब बाजार में एनालॉग पनीर का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है। यह असल पनीर के मुकाबले ज्यादा सस्ता होता है। ऐसे में मुनाफे और ज्यादा कमाई के लिए एनालॉग पनीर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होने लगा है। यह स्वाद में बिल्कुल असली पनीर की तरह होता है, ऐसे में ग्राहक इसके बारे में आसानी से पता नहीं लगा सकते।
खाने के लिए जाने जाने वाले इंदौर में क्या है हाल : इंदौर पूरे देश में अपने स्वादिष्ट खाने के लिए मशहूर है। ऐसे में यहां फूडे सेफ्टी को लेकर सबसे ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। बता दें कि पिछले साल 2024 में इंदौर में फूड सेफ्टी के लिए पूरे साल जिला प्रशासन ने अलग अलग टीम बनाकर सैंपलिंग करवाई। इस दौरान 744 सैंपलों में से 117 सैंपल की रिपोर्ट अमानक पाई गई। यानी फेल हो गई। इसमें पनीर, दूध, नमकीन, मिठाई आदि के सैंपल शामिल हैं। हालांकि पनीर के सैंपल सबसे ज्यादा अमानक पाए गए। कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर अपर कलेक्टर गौरव बैनल की कोर्ट में 188 केस का फैसला किया गया।
क्या कहते हैं अधिकारी?
खाद्य एवं सुरक्षा विभाग में खाद्य अधिकारी मनीष स्वामी ने वेबदुनिया को बताया कि इंदौर में सबसे ज्यादा पनीर के सैंपल फैल हो रहे हैं, 10 सैंपल में से 5 की रिपोर्ट अमानक आ रही है, उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीनों में ही 20 ज्यादा पनीर के सैंपल अमानक पाए गए हैं। एनालॉग पनीर का इस्तेमाल हो रहा है, ऐसा नहीं है कि एनालॉग पनीर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता,लेकिन होटल मालिकों को बताना चाहिए कि वे किस तरह के पनीर का इस्तेमाल कर के ग्राहकों को परोस रहे हैं। उन्होंनें बताया कि हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।
इंदौर नगर निगम के खाद्य अधिकारी लखन शास्त्री ने वेबदुनिया को बताया कि हम स्ट्रीट फूड और खुले में बिकने वाली भोजन सामग्री पर लगातार कार्रवाई करते हैं, उन्होंने बताया कि हालांकि हमारा अभी पूरा फोकस सफाई पर है। जहां तक सैंपलिंग का सवाल है तो वो खाद्य और सुरक्षा विभाग देख रहा है।
5 साल में सबसे ज्यादा पेनल्टी : अपर कलेक्टर गौरव बैनल की कोर्ट में कुल 188 केस में फैसला किया गया। इसमें 161 केस में अर्थदंड लगाया गया, जिसकी राशि 1.74 करोड़ रुपए है। यह राशि बीते 5 सालों में सबसे ज्यादा बताई जा रही है। जबकि 2022 में 1.44 करोड़ का अर्थदंड लगाया गया था। वहीं जहां सर्वाधिक राशि का जुर्माना लगा, वही बीते सालों में सबसे ज्यादा राशि की वसूली भी इस दौरान हुई है। साल 2024 में ही जुर्माना लगाई गई राशि में 94.83 लाख रुपए की तो वसूली भी हो गई। इसके पहले सालों में अधिकतम 37 लाख की ही वसूली हुई थी।
पिछले साल इतने सैंपल हुए फैल : जिला प्रशासन और खाद्य और सुरक्षा विभाग के मुताबिक साल 2024 में कुल 770 सेंपल जांच में लिए गए। इसमें 744 रिपोर्ट प्राप्त हुई, इसमें 117 सैंपल फेल हुए हैं। इसमें मानकों से कम पर पाए गए 76 सैंपल, मिथ्या छाप में 29 और अनसेफ में 14 सैंपल आए जो फेल घोषित हुए। कोर्ट में सभी पक्षों को सुनने के बाद 188 केस के फैसले हुए। वसूली के लिए सख्ती और लाइसेंस निरस्त करने जैसी कार्रवाई की गई।
पिछले 5 सालों में सैंपल और पेनल्टी के आंकड़े
2024 : कुल 188 केस में 1.74 करोड़ पेनल्टी लगी, 94.83 लाख जमा
2023 : कुल 61 केस में 70 लाख की पेनल्टी लगी, 15.70 लाख वसूली की गई
2022 : कुल 141 केस में 1.44 करोड़ की पेनल्टी लगी, 22.55 लाख की वसूली
2021 : कुल 114 केस में 85.25 लाख की पेनल्टी, 37.60 लाख की वसूली
2020 : कुल 103 केस में 18.20 लाख की पेनल्टी, 16.15 लाख की वसूली