नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत को 'सड़क का गुंडा' कहकर समूची भारतीय सेना का अपमान कर भारतीयों में रोष जगा दिया है।
कांग्रेस सांसद और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने हालांकि यह कहकर माफी मांग ली है कि उन्होंने शब्दों का गलत चयन किया। उन्होंने एएनआई से कहा था, ''पाकिस्तान उलजुलूल हरकतें और बयानबाजी करता है। खराब तब लगता है कि जब हमारे थल सेनाध्यक्ष सड़क के गुंडे की तरह बयान देते हैं। पाकिस्तान ऐसा करता है तो इसमें कोई हैरान करने वाली बात नहीं है।''
दीक्षित ने कहा, 'उनकी फौज में क्या रखा है, वहां तो सब माफिया टाइप के लोग हैं। पर हमारे सेना अध्यक्ष इस तरह के बयान क्यों देते हैं। हमारे यहां सभ्यता है, सौम्यता है, गहराई है और ताकत है।' उन्होंने आगे कहा- ''हमारा देश दुनिया के देशों में एक आदर्श देश निकलकर सामने आता है। हम भी इसी तरह की हरकत करेंगे तो बड़ी ओछी लगती है।'
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सेना प्रमुख ने इस जज्बे का मान रखा है। मेरा मानना है कि सेना प्रमुख ने भारतीय सेना की छवि के अनुरूप कुछ नहीं किया है। सेना प्रमुख को राजनीतिक बयान नहीं देने चाहिए।
संदीप दीक्षित के इस बयान को लेकर विवाद पैदा हो गया है। दीक्षित के इस बयान पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किेरेण रिजिजू ने कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''कांग्रेस पार्टी के साथ समस्या क्या है? उसने भारतीय आर्मी चीफ को सड़क का गुंडा कहने की हिम्मत कैसे की?''
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह बयान स्तब्धकारी है। देश के सेना प्रमुख को सड़का का गुंडा कहने को भारतीय लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। सोनिया गांधी को ऐसे नेताओं को बर्खास्त कर देना चाहिए और खुद भी माफी मांगनी चाहिए। पात्रा ने कांग्रेस पर ऐसे बयान देने की परंपरा बताते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी "खून की दलाली" शब्द का इस्तेमाल किया था। कांग्रेस किसी भी हद तक जाने का तैयार है! घिनौना!
हालांकि बाद में अपनी ही पार्टी का खुलकर समर्थन न मिलने पर कुछ ही देर में संदीप दीक्षित ने अपने बयान को लेकर माफी मांग ली। उन्होंने कहा, 'मुझे सेना प्रमुख के कमेंट पर आपत्ति है लेकिन मुझे शायद शब्दों का बेहतर चयन करना चाहिए था। मैं माफी मांगता हूं।'
उल्लेखनीय है कि जनरल रावत ने हाल में एक इंटरव्यू में मेजर लीतुल गोगोई का बचाव करते हुए कहा था कि घाटी में पत्थरबाजों से बचने के लिए एक कश्मीरी आदमी को सेना की जीप पर बैठाना उचित था। उन्होंने कहा था, "अगर इन पत्थरबाजों ने हम पर पत्थर फेंकने के बजाय गोली मारी होती तो मैं खुश होता। तब हम वह कर सकते थे जो हम करना चाहते थे।" सेना प्रमुख के इस बयान की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की थी।