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शशिकला पर भड़के पनीरसेल्वम, द्रमुक की साजिश को नकारा, बोले...

हमें फॉलो करें शशिकला पर भड़के पनीरसेल्वम, द्रमुक की साजिश को नकारा, बोले...
चेन्नई , बुधवार, 8 फ़रवरी 2017 (11:21 IST)
चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने बुधवार को अन्नाद्रमुक की महासचिव शशिकला के इस आरोप को खारिज कर दिया कि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ उनकी (पनीरसेल्वम की) बगावत के पीछे द्रमुक का हाथ है। उन्होंने कहा कि शशिकला के पास उन्हें कोषाध्यक्ष पद से हटाने का कोई अधिकार नहीं है।
 
पनीरसेल्वम ने तमिल टीवी चैनलों से कहा कि उनसे उनके इस आरोप का आधार पूछा जाना चाहिए। मेरा संबंध द्रमुक के साथ कभी मैत्रीपूर्ण नहीं रहा। इतिहास देखा जाए तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी। इस राजनीतिक घटनाक्रम के सामने आने के बाद से पनीरसेल्वम के ग्रीनवेज़ रोड स्थित आवास पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दर्जनों समर्थकों ने इलाके में जुटना शुरू कर दिया है।
 
इस बीच, अन्नाद्रमुक के विधायक पनीरसेल्वम की बगावत के बाद पैदा हुई स्थिति पर चर्चा करने के लिए पार्टी मुख्यालय पर बैठक कर रहे हैं।
 
पनीरसेल्वम ने कहा, 'मेरे और द्रमुक के बीच कोई रिश्ता नहीं है। यह इंसानी आदत है कि यदि कोई आपको देखकर मुस्कुराए तो आप भी मुस्कुरा देते हैं। जानवरों और इंसानों में यही अंतर है।' वह दरअसल शशिकला के कल रात के बयान के संदर्भ में बात कर रहे थे।
 
शशिकला ने हालिया सत्र में पनीरसेल्वम और विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं द्रमुक के कार्यवाहक अध्यक्ष एम के स्टालिन के बीच मुस्कुराहटों के आदान-प्रदान की ओर इशारा किया था।

पनीरसेल्वम अपने इस आरोप पर भी कायम रहे कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए विवश किया गया। हालांकि उन्होंने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि वह राज्यपाल के समक्ष इस पद पर बने रहने का दावा करेंगे या नहीं। इसके जवाब में उन्होंने इतना ही कहा- 'इंतजार कीजिए और देखिए'।
 
उन्होंने कहा कि मैं इसके बारे में कुछ नहीं कहना चाहता। मैं पहले ही अम्मा (जयललिता) के स्मारक पर उन स्थितियों के बारे में विस्तार से बता चुका हूं, जिनमें मुझे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। शशिकला के पास उन्हें (पनीरसेल्वम) पार्टी पद से हटाने का कोई अधिकार न होने के अपने दावे पर उन्होंने कहा कि पार्टी पहले ही कानूनी समस्याओं का सामना कर रही है।
 
उन्होंने कहा कि पार्टी के सामने पैदा हुई असाधारण स्थिति को देखते हुए महासचिव का चयन अस्थायी आधार पर किया गया था। यह पार्टी का नियम है। संस्थापक एम जी रामचंद्रन द्वारा अन्नाद्रमुक के गठन के समय बनाए गए पार्टी के संविधान के अनुसार, इस पद को कानूनी मंजूरी तभी मिलेगी, जब सभी प्राथमिक सदस्य महासचिव का चयन करेंगे। इस तरह से चुने गए महासचिव के पास ही पार्टी के किसी अधिकारी को नियुक्त करने या हटाने का अधिकार होता है।
 
अन्नाद्रमुक के नेताओं द्वारा अपने खिलाफ बोले गए कड़े हमलों पर पनीरसेल्वम ने कहा कि यह वक्त की मजबूरी है। इन नेताओं में उनके मंत्रिमंडल के कुछ साथी भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि वे ऐसा तभी बोल सकते हैं, जब वे वहां (शशिकला के साथ) हैं। उनके दिमाग में अगले चार साल तक अपना पद बचाए रखने की बात है। उन्हें यह सोचकर काम करना चाहिए कि उन्हें वापस जनता के बीच जाना है। पार्टी आलाकमान के साथ विश्वासघात करने के आरोप पर उन्होंने कहा कि उन्होंने मजबूर होकर इस्तीफा इसीलिए दिया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि वह किसी के निशाने पर आएं। (भाषा) 

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