नई दिल्ली। एक करोड़ रुपए से कम के बचत खातों पर ब्याज दर में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा कटौती किए जाने का मुद्दा गुरुवार को राज्यसभा में उठा और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इसका बचाव करते हुए कहा कि यह कदम उधारी दर में कमी को देखते हुए उठाया गया है।
शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और सपा के नरेश अग्रवाल ने यह मुद्दा उठाया। डेरेक ने कहा कि स्टेट बैंक ने अपने इस कदम के पीछे का कारण बताया कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग व्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि देश के 99 प्रतिशत खाते एक करोड़ रुपए से कम जमा राशि वाले हैं। उन्होंने कहा कि बैंक के इस फैसले से छोटे जमाकर्ता, वरिष्ठ नागरिक और पेंशनधारी खास तौर पर प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा कि सावधि जमाओं पर ब्याज दर 10 प्रतिशत तक होती थी तो घटकर छह रह गई है। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कमी होने से चिटफंड कंपनियों का प्रसार होगा। तृणमूल सदस्य ने आरोप लगाया कि नोटबंदी के कारण लाखों की संख्या में रोजगार कम हो गए।
उन्होंने कहा कि एक ओर बैंक सात लाख करोड़ रुपए की गैर निष्पादित आस्ति (एनपीए) वसूल नहीं कर पा रहा है, दूसरी ओर ऐसे फैसलों से आम आदमी को प्रभावित कर रहा है।
सपा के नरेश अग्रवाल ने भी ब्याज दर में कटौती का जिक्र किया और कहा कि बचत खातों के साथ ही अन्य लघु बचत योजनाओं की दरों में भी कटौती की गई है।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने पहले ही एक स्कीम शुरू की है जिस पर आठ प्रतिशत की दर से ब्याज देय है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्त लोगों के लिए सरकार ने एक स्कीम शुरू की है जिस पर आठ प्रतिशत की दर से ब्याज की गारंटी है। उन्होंने कहा कि इस पर प्रभावी ब्याज दर 8.3 प्रतिशत होगी।
जेटली ने कहा कि बचत खातों और साविध जमाओं पर ब्याज दरें उस दौर में अधिक थीं जब मुद्रास्फीति की दर 10-11 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि जब उधारी दरों में कमी के साथ ही बचत खातों की दरों में कमी आई है।
अर्थव्यवस्था में मंदी और रोजगार में कमी के मुद्दे पर चर्चा की विपक्ष की मांग पर जेटली ने कहा कि अगर विपक्ष हर दिन सुबह 11 बजे से शाम छह बजे तक सदन चलने दे तो उसके द्वारा उठाए जाने वाले सभी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। (भाषा)