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सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से मांगी बकाया वसूली की जानकारी

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नई दिल्ली , मंगलवार, 3 जनवरी 2017 (15:10 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दाखिल बकाया वसूली मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने सरकार से उन मामलों की भी जानकारी मांगी है, जो पिछले दस सालों से ऋण वसूली न्यायाधिकरणों और उनकी अपीलीय इकाइयों में लंबित हैं।
 
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता में न्यायालय की एक पीठ ने सरकार से इस प्रश्न का उत्तर भी मांगा है कि क्या वसूली न्यायाधिकरण इस तरह के मामलों पर एक निश्चित समय सीमा में कानून के तहत निर्णय करने की पर्याप्त क्षमता रखते हैं या नहीं?
 
इससे पहले न्यायालय ने कहा था कि गैर-निष्पादित आस्तियों का आंकड़ा कई लाख करोड़ रुपए का है और इसकी वसूली की प्रक्रिया तर्कसंगत नहीं है। इसके अलावा बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ऋण की वसूली के लिए बनाई गई डीआरटी और ऋण वसूली अपलीय न्यायाधिकरण की व्यवस्था खराब हालत में है।
 
न्यायालय ने पहले कहा था कि गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का आंकड़ा कई लाख करोड़ रुपए का है और इसकी वसूली नहीं हो पाने के कारणों में से एक वसूली की प्रक्रिया का तर्कसंगत नहीं होना है। इससे पहले न्यायालय ने जनहित याचिका में उठाए गए एक मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। यह डीआरटी और डीआरएटी में ढांचागत सुविधाएं, श्रमबल एवं अन्य सुविधाओं में कमी से संबंधित था। गौरतलब है कि डीआरटी और डीआरएटी बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के फंसे हुए कर्ज की वसूली याचिकाओं का निपटारा करते हैं।
 
न्यायालय सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। यह याचिका वर्ष 2003 में दाखिल की गई थी जिसमें सरकारी कंपनी आवास एवं शहरी विकास निगम (हडको) द्वारा कुछ कंपनियों को बांटे गए ऋण का मुद्दा उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2015 में करीब 40,000 करोड़ रपये के कारपोरेट रिण को बट्टे खाते में डाल दिया गया। (भाषा)
 

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