पिछले दिनों मध्यप्रदेश के गुना में शिकार गिरोह द्वारा 3 पुलिसकर्मियों की बर्बर हत्या पूरे देश में चर्चा और चिंता का विषय रही। इसके बाद वेबदुनिया ने प्रदेश में वाइल्ड लाइफ और फॉरेस्ट प्रोटेक्शन के लिए जिम्मेदार मंत्रालय और विभागों से बात कर इसकी पड़ताल की थी।
इस दौरान वन मंत्री विजय शाह ने वेबदुनिया से बातचीत में खासतौर से बताया कि किस तरह वाइल्ड लाइफ संरक्षण और फॉरेस्ट प्रोटेक्शन के साथ ही पोचिंग और सक्रिय शिकारी गिरोह पर लगाम लगाने के लिए विभाग और मंत्रालय काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश को बचाने के लिए ड्रोन और आधुनिक हथियारों के साथ ही अब एक योजना के तहत जंगलवासियों व गांववालों को भी जंगल का हिस्सेदार और मालिक बनाया है। पढ़िए पूरा इंटरव्यू।
सवाल : पिछले दिनों गुना शिकारियों ने 3 पुलिसकर्मियों की बर्बर हत्या कर दी, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब : हमने मुख्यमंत्रीजी से समय मांगा है, मुलाकात कर के चर्चा करेंगे कि फारेस्ट के क्या अधिकार हैं, उन्हें कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, वन कर्मचारी इमरजेंसी में कैसे अपनी जान बचाएं और घटनाओं को रोका जाए, इसकी समीक्षा करेंगे।
सवाल : मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट है, लेकिन क्या कारण है कि यहां पोचिंग की घटनाएं थम नहीं रही हैं?
जवाब : देखिए, आसाम, त्रिपुरा, कर्नाटक, उत्तराखंड, कश्मीर समेत देश के कई दूसरे प्रदेशों में वन विभाग को पुलिस की तरह अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन हमें नहीं, हम कोशिश कर रहे हैं कि प्रदेश में भी ऐसे ही अधिकार मिले, जिससे वन विभाग मजबूत हो सके।
सवाल : पीसीसीएफ के मुताबिक हमारे यहां शिकार और पोचिंग संबंधी कई प्रकरण लंबित हैं, जिसकी वजह से अपराधियों में खौफ नहीं रहा, इससे कैसे निपटेंगे?
जवाब : हमने पीसीसीएफ को कहा है कि जानकारी निकाले कि देश के दूसरे स्टेट में वाइल्ड लाइफ और फॉरेस्ट संरक्षण के लिए क्या रणनीति अपनाए जाती है, नियम कानून में क्या परिवर्तन किए जा सकते हैं, हम भी वैसे ही निपटेंगे।
सवाल : वन और वन्य जीव संरक्षण के लिए विभाग का किस तरह की व्यवस्थाएं या योजनाएं लागू करने का प्लान है, क्या करेंगे?
जवाब : 27 मई को हम एक हाई लेवल मीटिंग कर रहे हैं, उसमें ओवरऑल समीक्षा करेंगे। कैसे योजनाओं को लागू किया जा सकता है, क्या सुधार किए जा सकते हैं, यह सब देखेंगे।
सवाल : लेकिन पोचिंग की घटनाएं और शिकार गिरोह से निपटने के लिए वन विभाग के पास संसाधन नाकाफी हैं और स्टाफ की भी कमी बताई जाती है?
जवाब : अब हम आधुनिक ड्रोन की व्यवस्था कर रहे हैं, आधुनिक उपकरण और हथियार दिए जा रहे हैं। प्रदेश के 16 वनवृत्तों में निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करेंगे। ये ड्रोन करीब 16 किमी तक मॉनिटरिंग और निगरानी कर सकते हैं, इससे फायदा होगा।
सवाल : गुना में जो हुआ, वो चिंताजनक है, वन कर्मचारियों और अधिकारियों की सुरक्षा के लिए क्या किया जा रहा है?
जवाब : अगर फारेस्ट अधिकारी और कर्मचारी स्वयं की सुरक्षा के लिए बंदूक या रायफल रखना चाहता है तो हम उसे तत्काल देंगे। इसके लिए हमने पत्र लिखा है, अगर कोई आवेदन देगा तो एक महीने में उसे हथियार का लाइसेंस मिल जाएगा।
सवाल : साल 2012 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन के लिए कहा था, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। सरकार तो इसके लिए फंड भी दे रही थी?
जवाब : फंड तो नहीं मिलता, हो सकता है यह योजना पाइपलाइन में हो। हालांकि हमारे एसएएफ के जवान फॉरेस्ट प्रोटेक्शन के लिए तैनात रहते हैं, उन्हें वन विभाग वेतन देता है।
सवाल : उम्मीद की जाना चाहिए कि घटनाएं होने से पहले मंत्रालय और विभाग सक्रिय और सतर्क रहेगा। ताकि गुना जैसी घटनाएं न दोहराई जाएं?
जवाब : देखिए, सिर्फ बंदूक के बल पर जंगल की सुरक्षा संभव नहीं है, लेकिन हमने नया कानून बनाया है, पहले जंगल कटता था तो सारा जंगल सरकार ले जाती थी, अब हमने वनवासियों को इसमें 20 प्रतिशत का हिस्सेदार बनाया है। जंगल की लकड़ी कटेगी तो उसका हिस्सा जंगलवासियों, गांव वालों को दिया जाएगा, मसलन, अगर हम जंगल से एक हजार करोड़ रुपए कमाएंगे तो उसका 20 प्रतिशत हिस्सा गांव वालों का होगा। जिसका वे अपने विकास के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है।
सवाल : जंगल में होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए वनवासियों और जंगलवासियों की भी मदद ली जा सकती है?
जवाब : बिल्कुल, हमने शिकारियों की सूचनाएं देने वालों के लिए 10 हजार रुपए इनाम देने की घोषणा की है। इस तरह कलेक्टिव प्रयासों से वाइल्ड लाइफ और फॉरेस्ट को बचाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।