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सर्विस चार्ज नहीं दे सकते तो होटल में खाना मत खाइए : होटल एसोसिशन

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, मंगलवार, 3 जनवरी 2017 (11:43 IST)
आम लोगों को राहत देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने सोमवार को साफ किया था कि होटल और रेस्तरां में सर्विस चार्ज (सेवा शुल्क) देना जरूरी नहीं है। ग्राहक पर निर्भर है कि वह सर्विस चार्ज दे या नहीं। कोई भी कंपनी, होटल और रेस्तरां ग्राहकों से जबरदस्ती सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकती। 
 
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस बारे में स्थिति साफ करते हुए यह स्पष्टीकरण जारी किया कि अगर आप होटल या रेस्तरां की सर्विस से खुश नहीं हैं तो सर्विस चार्ज देने से मना कर सकते हैं। वहीं इस घोषणा पर आपत्ति जताते हुए नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने इसका विरोध किया है। साथ ही वह इस फैसले के खिलाफ अपना पक्ष रखने के लिए कानूनी मदद लेने का संकेत दिया है।
 
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक रेस्तरां एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अगर उपभोक्ताओं को सर्विस चार्ज नहीं चुकाना है तो वे होटल या रेस्तरां में खाना नहीं खाएं। इसके बाद यह मामला लगतार गरमाता जा रहा है। अखबार से बात करते हुए नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन के अध्यक्ष रियाज अमलानी ने बताया कि रेस्तरां के मेन्यू में साफ लिखा होता है कि कितना सर्विस चार्ज लगाया जाएगा। हम कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्विस चार्ज की रकम कर्मचारियों में बांट दी जाती है।
 
अलमानी के मुताबिक सर्विस चार्ज हटाने की जगह कई रेस्तरां उपभोक्ताओं से पूछ सकते हैं कि क्या वे सर्विस चार्ज चुकाना चाहते हैं और अगर नहीं तो वह ऐसी जगह खाना खाएं जहां सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता हो। साथ ही, एसोसिशन ने साफ किया है रेस्तरां द्वारा लगाया जाने वाला सर्विस चार्ज पूरी तरह से उपभोक्ता कानून के तहत है, जब तक कि रेस्तरां द्वारा ग्राहक से अनुचित चार्ज न वसूला जाए। 
 
सरकारी सूत्रों का कहना है कि उपभोक्ता मंत्रालय को शिकायत मिली थी कि कई होटल और रेस्तरां उपभोक्ताओं से जबरदस्ती सर्विस चार्ज के नाम पर पांच से 20 फीसदी तक वसूल रहे हैं। उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत यह कारोबार के नियमों का उल्लंघन है। इसलिए, उपभोक्ता मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वह इस बारे में होटल और रेस्तरां को सलाह दें।
 
सर्विस टैक्स और सर्विस चार्ज को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। सर्विस टैक्स (सेवा कर) सरकार के खाते में जाता है, जबकि सर्विस चार्ज होटल मालिक के गल्ले में जाता है। मालूम हो कि यह प्रावधान पहले से ही था कि बिल में टैक्स के अलावा सर्विस चार्ज जुड़ा तो ग्राहक चाहें तो सर्विस चार्ज दें या नहीं, लेकिन होटलों और रेस्तरां ने सर्विस चार्ज देना भी जरूरी बना दिया था। (एजेंसिया/वेबदुनिया डेस्क) 

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