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पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर के पुंछ जिले के नियंत्रण रेखा पर सोमवार को सीज फायर का उल्लंघन किया। पाकिस्तानी रेंजर्स ने बीएसएफ की अग्रिम रक्षा स्थान (एफडीएल) चौकी पर सोमवार को रॉकेट दागे जिसमें सेना के एक जेओसी और बीएसएफ के हेड कांस्टेबल प्रेम सागर शहीद हो गए। पाकिस्तान सेना ने भारतीय जवानों के शव के साथ बर्बरता भी की और उनके अंग काट डाले।
शहीद प्रेमसागर की शहादत की खबर मिलते ही उत्तर प्रदेश के देवरिया के लोगों में आक्रोश छा गया। टिकमपार गांव का हर नागरिक पाक की नापाक हरकत की निंदा कर रहा था। बेटी मोनिका ने कहा कि मेरे पिता की आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब एक के बदले दस पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काट कर भारतीय सैनिक लाएंगे।
बीएसएफ की कंट्रोल यूनिट से प्रेमसागर के बड़े बेटे ईश्वर को उनकी शहादत की खबर करीब एक बजे मिली। ईश्वर ने मां ज्ञानती को फोन कर पिता के घायल होने की सूचना दी। यह मनहूस खबर मिलते ही ज्ञानती देवी बदहवास हो गई। परिजनों के रोने की आवाज सुनकर ग्रामीण इकठ्ठा हो गए। लोगों को जैसे ही पता चला कि पाकिस्तानी सेना के हमले में गांव का लाल शहीद हुआ है।
जम्मू और कश्मीर के पूंछ जिले में शहीद प्रेमसागर ने सोमवार को ड्यूटी जाने के पहले अपनी बेटी और पत्नी से फोन पर बात किया था। उन्होंने बेटी से कहा था कि शाम को बात नहीं हो पाएगी। ड्यूटी के दौरान फोन नहीं मिलता। पर उन्हें क्या पता था कि यह उनकी आखिरी बात होगी। बेटी मोनिका यह बात दोहरा कर ही बिलख रही थी।
प्रेमसागर होली में 40 दिन की छुट्टी पर गांव आए थे। 26 मार्च को वे टिकमपार से ड्यूटी पर गए थे। ड्यूटी पर जाने के बाद वे घर वालों से रोज बात किया करते थे। सोमवार की सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले करीब साढ़े सात बजे प्रेम सागर ने फोन पर बेटी मोनिका और फिर पत्नी ज्ञानती से बात की। उन्होंने घर के सभी लोगों का हाल जाना। बेटी मोनिका ने फिर से शाम को बात करने को कहा तो उन्होंने कहा कि बेटा ड्यूटी के दौरान नेटवर्क नहीं काम करता है। बाद में बात करेंगे। उन्होंने पत्नी ज्ञानती से बच्चों का ख्याल रखने को कहा और बताया था कि फिर मंगलवार की सुबह बात करेंगे।
करीब एक बजे बेटे इलाहाबाद में रह कर तैयारी कर रहे बडे़ बेटे ईश्वर के मोबाइल की घंटी बजी। फोन बीएसएफ के कंट्रोलरूम से था। फोन करने वाले जवान ने उसे पूूंछ जिले में उस चौकी पर पाकिस्तानी रेंजर्स के हमले की जानकारी दी जिस पर पे्रमसागर तैनात थे। यह सुनते ही ईश्वर का कलेजा अनहोनी की आशंका से कॉप उठा। उसने घर वालों को बताया कि पापा घायल हो गए हैं। वह उनके पास जा रहा है। यह मनहूस खबर सुनते ही घर में कोहराम मच गया। देर शाम मौत की खबर मिली तो शहीद का परिवार ही नहीं बल्कि पूरे टिकमपार गांव में मातम छा गया।
बदहवास मां को संभाल रही बेटी मोनिका बार-बार एक ही रट लगा रही थी। मुझे पिता की मौत का बदला चाहिए। प्रधानमंत्री हमारी सेना को पाकिस्तान पर हमला करने की इजाजत दें, जब तक एक के बदले दस पाकिस्तानी सैनिकों का सिर नहीं आ जाता मेरे पिता की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। कक्षा 11 में पढ़ने वाली मासूम बेटी की करुण पुकार सुन मौजूद लोगों की ऑखे भर जा रहीं थीं। (एजेंसी)