कश्मीर में आज यानी बुधवार को दो बड़ी घटनाएं हुईं। अनंतनाग में सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया, वहीं दूसरी ओर शोपियां जिले में आतंकवादी हमले में चार पुलिसकर्मी शहीद हो गए। दोनों घटनाओं में एक बड़ा अंतर यह था कि मारे गए आतंकी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, वहीं शहीद पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवाकर भी देश की आबरू पर आंच नहीं आने दी।
इन दोनों ही मामलों में एक समानता भी है, वह यह कि आतंकी और पुलिसकर्मी दोनों ही स्थानीय थे, यानी कश्मीर के ही वाशिंदे थे। लेकिन, इन घटनाओं में एक शर्मनाक पहलू भी है, वह यह कि आतंकी अल्ताफ अहमद डार उर्फ कचरू के जनाजे में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। भीड़ में कुछ तो ऐसे भी चेहरे थे जो हाथों में हथियार थामे हुए थे। सवाल यह भी है कि क्या ये लोग मर्जी से जनाजे में शामिल हुए थे या फिर किसी भय के चलते।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब घाटी में आतंकियों के जनाजे में इतनी भीड़ उमड़ी हो। इससे पहले भी बुरहान वानी से लेकर अन्य कई आतंकियों के जनाजों में भी भारी संख्या में लोग शामिल हो चुके हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि आतंकी डार स्थानीय लोगों पर किए गए कई हमलों में शामिल था। निश्चित ही यह बड़ा ही गंभीर विषय है, जिस पर सरकार को विचार करना चाहिए। एक सवाल यह भी है कि क्या शहीद पुलिसकर्मियों के जनाजों में भी इतनी ही भीड़ उमड़ेगी?
कौन है अल्ताफ कचरू : अल्ताफ अहमद डार हिजबुल मुजाहिदीन का डिवीजनल कमांडर था। इसे पूर्व में मारे गए पोस्टर बॉय आतंकी बुरहान वानी का करीबी माना जाता था। अल्ताफ का नाम मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में टॉप टेन में शामिल था। वह पिछले 15 सालों से हिजबुल के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा था। कचरू सुरक्षाबलों और स्थानीय नागरिकों पर हमलों के कई मामलों में शामिल था। डार के साथ मारे गए दूसरे आतंकी की पहचान उमर रशीद वानी के रूप में हुई है।
चित्र सौजन्य : सुरेश डुग्गर