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शनि शिंगणापुर में महिलाएं पूजा के लिए अड़ी, आज टूटेगी परंपरा!

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अहमदनगर (महाराष्ट्र) , मंगलवार, 26 जनवरी 2016 (12:46 IST)
शनि शिंगणापुर में स्थित भगवान शनि के मंदिर में महिलाओं का प्रवेश अब राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है और आज मंगलवार को भूमाता रण रागिनी संगठन की लगभग 400 महिलाओं सहित 1500 महिलाएं ने वर्षों पुरानी परंपरा को तोड़कर भगवान शनि के चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने की ठानी है। महिलाओं की इस‍ जिद के चलते सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। गांव की कई महिलाएं इस परंपरा को तोड़ने के खिलाफ है उन्होंने यहां मोर्चा संभाल रखा है। उनका कहना है कि चबूतरे पर किसी को भी चढ़ने की इजाजद नहीं है, क्योंकि यह शनि भगवान का स्वयंभू स्थान है। 
* अभी अभी खबर मिली है कि अहमदनगर से 75 किलोमीटर पहले ही पुलिस ने 450 से ज्यादा आंदोलनकारी महिलाओं को बैरिकेटिंग करने रोक दिया है। तृप्ति देसाई नाम की महिला को हिरासत में लिया गया है। मंदिर यहां से 75 किलोमीटर दूर  है।  भू-माता रणरागिनी संगठन की ये महिलाएं आज सुबह पुणे से निकली थीं। 

महाराष्ट्र में मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर में 1500 महिलाओं ने मंदिर के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने का ऐलान किया है। शनि मंदिर में महिलाओं का चबूतरे पर जाना परंपरा के खिलाफ माना जाता है, लेकिन इन महिलाओं ने परंपरा तोड़ने की ठान ली है। भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड के झंडे तले इन महिलाओं ने धमकी दी है कि अगर उन्हें मैदान से मंदिर में नहीं जाने दिया गया तो वे हेलिकॉप्टर से मंदिर में जाएंगी। 
 
उधर, मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि वे महिलाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन परंपरा के अनुसार महिलाएं मंदिर में पूजा नहीं कर सकतीं और हम इसे बदल नहीं सकते। ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने कहा, 'हम किसी सुरक्षा इंतजाम से नहीं डरते क्योंकि यह महिलाओं के अधिकार का मामला है।'

मंगलवार के दिन मंदिर के सबसे भीतरी हिस्से में जबरदस्ती प्रवेश करेंगी, जहां एक खुले प्लेटफॉर्म पर काले रंग के एक पवित्र पत्थर को प्राचीनकाल में प्रतिष्ठापित किया गया था। माना जाता है कि यह पत्थर शनि भगवान की मूर्ति नहीं है बल्कि यह स्वयंभू है। मंदिर प्रशासन चबूतरे पर महिला या पुरुष किसी को भी चढ़ने नहीं देता है।
 
अहमदनगर मुंबई से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर है। पिछले दिनों यहां पर एक युवती सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बदाते हुए पूजा अर्चना कर आई थी। चूंकि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, तभी से यह आवाज उठने लगी कि आखिर महिलाएं पूजा क्यों नहीं कर सकती? 
 
1500 महिला कार्यकर्ताओं के जबरदस्ती मंदिर में प्रवेश करने की धमकी देने के बाद हिन्दू दक्षिणपंथी भी मैदान में कूद पड़े हैं। हिन्दू दक्षिणपंथी गुटों का कहना है कि वे पूरे इलाके में 1,000 से भी ज्यादा महिलाओं की मदद से कई पंक्तियां बनाकर प्रदर्शनकारी महिलाओं को रोकेंगे। 
 
'दैनिक इंडियन एक्सप्रेस' ने मोनिका गावड़े के हवाले से बताया, इन गुटों का दावा है कि भगवान शनि के प्रचंड प्रकोप से इन प्रदर्शनकारी महिलाओं को 'हानि' पहुंच सकती है। कार्यकर्ता तृप्ति देसाई का कहना है कि जब पुरुष वहां जाते हैं, तो सब ठीक है, लेकिन महिलाओं के जाने से मंदिर अपवित्र हो जाता है? 
 
तृप्ति ने यह भी बताया कि शताब्दियों से महिलाओं के लिए वर्जित क्षेत्र में उन्हें पहुंचाने के लिए एक हेलीकॉप्टर भी बुक कर लिया गया है, जो जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि पुलिस ने क्षेत्र में हेलीकॉप्टर को उड़ने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है, तथा प्रदर्शन को हिंसक होने से रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
 
महिलाओं के इस मंदिर में प्रवेश को लेकर लगे प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन और अभियान पिछले साल नवंबर में शुरू हुए थे, जब एक महिला पूजा करने के लिए खुले प्लेटफॉर्म तक पहुंच गई थी। बाद में पुजारियों ने उस स्थान का दूध तथा तेल से 'शुद्धिकरण' किया था।
 
स्थानीय प्रशासन ने कमर कसी : अहमदनगर के पुलिस अधीक्षक सौरभ त्रिपाठी ने कहा कि हमें पता चला है कि मंगलवार को यहां पर महिलाएं जबरन मंदिर में घुसने का प्रवेश करने वाली है। हमारी कोशिश रहेगी कि हम नाकेबंदी करके उन्हें रोकें। 
 
एसपी त्रिपाठी ने कहा कि हम चाहते हैं कि कोई भी विवाद न हो और लोग कानून अपने हाथों में न लें। आपसी बातचीत से ही कोई हल निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और मंदिर के आसपास अतिरिक्त बल भी लगा दिया है। 

क्या है मंदिर के संबंध में मान्यता: 
* शनि शिंगणापुर में शनि मंदिर में छत और दीवारें नहीं हैं। यह स्वयंभू मूर्ति खुले चबूतरे पर है। यह गांव के बीचोबीच है। इस गांव को सोनाई भी कहा जाता है।
* मान यह भी जाता है कि यह पत्थर रामदूत हनुमानजी ने कई किलोमीटर दूर से यहां फेंका था जबकि उनका शनि भगवान के साथ युद्ध चल रहा था। इस शनि भगवान का जन्म स्थान भी माना जाता है।
* यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। पुजारियों को छोड़कर किसी को भी नौ सीढ़ियां चढ़कर चबूतरे पर स्थित मूर्ति तक जाने की अनुमति नहीं है। भक्तों को चबूतरे के नीचे से ही प्रार्थना करनी होती है।
* शनि शिंगणापुर दुनिया का एकमात्र ऐसा गांव है जहां घरों में दरवाजे नहीं हैं। ताले नहीं लगते। यहां तक कि यूको बैंक की शाखा में भी दरवाजों पर ताले नहीं लगते हैं। मान्यता है कि शनिदेव गांव को चोरों से बचाते हैं। जो भी चोरी का प्रयास करता है, उसे दैवीय सजा मिलती है।

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