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महाराष्ट्र में शरद पवार क्या बनेंगे किंगमेकर ?

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 1 नवंबर 2019 (07:40 IST)
महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भाजपा और शिवसेना में अब सियासी दांवपेंच की लड़ाई अब उस मोड़ पर पहुंच गई है जहां से समझौते की उम्मीद दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। इस बीच 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी शिवसेना ने अब भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की सियासत तेज कर दी है। गुरुवार को शिवसेना नेता और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात कर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है।

शरद पवार के साथ मुलाकात के बाद संजय राउत ने इसे दीवाली की बधाई देने वाली मुलाकात कहते हुए कहा कि मुलाकात के दौरान प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक हालात पर भी चर्चा हुई। 
 
संजय राउत शिवसेना के वह नेता है जिनको पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का काफी नजदीकी माना जाता है और पार्टी के संदेश को वह ही मीडिया के सामने रखते हैं। इसके साथ शिवसेना के मुखपत्र सामना के जरिए संजय राउत पार्टी के एजेंडे को लोगों को बताते है।

महाराष्ट्र की सियासत में गुरुवार को हुई इस मुलाकत को काफी अहम माना जा रहा है। पहले शिवसेना के विधायकों का एक साथ राज्यपाल से मुलाकात करना और शाम संजय राउत का एनसीपी नेता शरद पवार से मुलाकात करना महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में किसी बड़े उलटफेर का संकेत भी दे रहा है। 
 
महाराष्ट्र में गठबंधन में चुनाव लड़ी भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जो खींचतान मची हुई है उसके बाद शिवसेना को सरकार बनाने के लिए कांग्रेस नेताओं ने पहले ही समर्थन देने का ऑफर दे दिया है। वहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी एनसीपी ने अब तक शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बोला है।

एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने पिछले दिनों विपक्ष में बैठने की बात कही थी, लेकिन बाद में वह अपने बयान से पीछे हटते हुए दिखाई दिए थे। इस बीच संजय राउत की शरद पावर से मुलाकात के बाद यह सवाल उठने लगा है कि शरद पवार महाराष्ट्र में किंगमेकर की भूमिका निभाने जा रहे है।

भाजपा को सत्ता में आने स रोकने के लिए कांग्रेस का बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव अगर शिवसेना स्वीकार कर लेती है तो एनसीपी के सहयोग से वह आराम से महाराष्ट्र में सरकार का गठन कर सकती है। 
 
महाराष्ट्र का सियासी समीकरण – महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के चुनाव में गठबंधन में चुनाव लड़ी  भाजपा के 105 और शिवेसना के 56 विधायक चुने गए है। वहीं अगर बात करे विपक्ष की तो शरद पवार की पार्टी एनसीपी को 54 और कांग्रेस के विधायकों की संख्या 44 है। ऐसे में अगर शिवसेना को भाजपा के बिना सरकार बनानी है तो उसके कांग्रेस और एनसीपी दोनों के समर्थन की दरकार होगी। इसके साथ शिवसेना को कई निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन पहले से ही दे दिया है। 
 

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