नई दिल्ली, हिंद महासागर में, शार्क और शंकुश मछलियों की आबादी में भारी गिरावट हो रही है। एक ताजा अध्ययन में हिंद महासागर क्षेत्र में वर्ष 1970 के बाद शार्क एवं शंकुश मछलियों की आबादी में 84.7 प्रतिशत तक गिरावट आने का पता चला है।
कनाडा की सिमोन फ्रासेर यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटेर, ऑस्ट्रेलिया की जेम्स कुक यूनिवर्सिटी एवं चार्ल्स डार्विन यूनिवर्सिटी समेत दुनियाभर के कुछ अन्य प्रमुख शोध संस्थानों के संयुक्त अध्ययन में यह बात उभरकर आयी है।
इस अध्ययन से प्राप्त आंकड़े हैरान करते हैं, जिसमें कहा गया है कि पिछले करीब 50 वर्षों के दौरान दुनियाभर में शार्क और शंकुश मछलियों की जनसंख्या में 71 फीसदी की गिरावट हुई है। इसका सीधा असर समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ रहा है, और महासागरों में रहने वाले जीव विलुप्ति की कगार पर बढ़ रहे हैं।
शार्क और शंकुश मछलियों की 31 में से 24 प्रजातियां अब संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में आ गई हैं। समुद्र में पायी जाने वाली ओसेनिक वाइटटिप और ग्रेट हैमरहेड शार्क पर भी संकट गहराता जा रहा है।
अध्ययन में पता चला है कि हिंद महासागर जैसे उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ये समुद्री जीव द्रुत गति से विलुप्त हो रहे हैं। हिंद महासागर में शार्क एवं शंकुश मछलियों की आबादी में गिरावट के लिए इस क्षेत्र में अत्यधिक मछली पकड़े जाने को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1970 से अब तक मछली पकड़ने पर दबाव 18 गुना बढ़ा है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि समुद्र में अत्यधिक मछली पकड़े जाने के कारण मछलियों की आबादी हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।
शोधकर्ताओं का कहना यह भी है कि समुद्र की पहचान कहे जाने वाले इन जीवों को विलुप्त होने से बचाने के लिए समय रहते प्रभावी उपाय किये जाने आवश्यक हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटेर में समुद्री मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर रिचर्ड शेर्ले ने कहा है कि अगर तत्काल रूप से प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते, तो बहुत देर हो जाएगी। शार्क मछलियों को समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के लिए बेहद अहम माना जाता है।(इंडिया साइंस वायर)