नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को शिवसेना नाम और उसका चुनाव चिह्न तीर-कमान आवंटित किया है। इसे उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। ठाकरे ने आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है।
तीन सदस्यीय आयोग ने शिंदे द्वारा दायर छह महीने पुरानी याचिका पर सर्वसम्मत आदेश में कहा कि वह विधायक दल में पार्टी की संख्या बल पर निर्भर था, जहां मुख्यमंत्री को 55 में से 40 विधायकों और 18 में से 13 लोकसभा सदस्यों का समर्थन हासिल था।
आदेश में, तीन सदस्यीय आयोग ने ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और मशाल चुनाव चिह्न को बनाए रखने की अनुमति दी, जो उसे राज्य में विधानसभा उपचुनावों के समाप्त होने तक एक अंतरिम आदेश में दिया गया था।
सच्चाई की जीत : इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने निर्वाचन आयोग द्वारा उनके धड़े को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता दिए जाने के फैसले को सच्चाई एवं लोगों की जीत बताया। उन्होंने आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मैं निर्वाचन आयोग को धन्यवाद देता हूं। लोकतंत्र में बहुमत का महत्व होता है। यह सच्चाई और लोगों की जीत है और साथ ही यह बालासाहेब ठाकरे का आशीर्वाद भी है। हमारी शिवसेना वास्तविक है।
यह पहली बार है जब ठाकरे परिवार ने 1966 में बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी का नियंत्रण खो दिया है। पार्टी ने हिंदुत्व को अपनी प्रमुख विचारधारा के रूप में अपनाया था और 2019 तक भाजपा के साथ गठबंधन था, जब उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने के लिए गठबंधन तोड़ दिया था।
आयोग ने 78 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा है कि पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का चिह्न तीर-कमान याचिकाकर्ता गुट द्वारा बनाए रखा जाएगा। आयोग ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में शिंदे गुट को आवंटित बालासाहेबंची शिवसेना का नाम और दो तलवारें और ढाल के चिह्न पर तत्काल प्रभाव से रोक लग जाएगी और इसका उपयोग नहीं किया जाएगा।
आयोग ने कहा कि वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 विजयी उम्मीदवारों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों के पक्ष में लगभग 76 फीसदी मत पड़े। अपने आदेश में, आयोग ने कहा कि शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 40 विधायकों ने कुल 47,82,440 मतों में से 36,57,327 मत प्राप्त किए, जो 55 विजयी विधायकों के पक्ष में डाले गए मतों का लगभग 76 प्रतिशत है।
यह 15 विधायकों द्वारा प्राप्त 11,25,113 मतों के विपरीत था, जिनके समर्थन का दावा ठाकरे गुट द्वारा किया जाता है। महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के विजयी उम्मीदवारों के पक्ष में मिले मतों से 23.5 प्रतिशत मत उद्धव ठाकरे धड़े के विधायकों को मिले थे।
आयोग ने कहा कि प्रतिवादी (ठाकरे गुट) ने चुनाव चिह्न और संगठन पर दावा करने के लिए पार्टी के 2018 के संविधान पर बहुत भरोसा किया था, लेकिन पार्टी ने संविधान में संशोधन के बारे में आयोग को सूचित नहीं किया था। निर्वाचन आयोग ने कहा कि शिवसेना का 2018 में संशोधित किया गया संविधान आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। आयोग ने कहा कि उसने पाया कि पार्टी का संविधान, जिस पर ठाकरे गुट पूरा भरोसा कर रहा था, अलोकतांत्रिक था।
लोकतंत्र के लिए खतरनाक : उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना मानने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और कहा कि वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे। निर्वाचन आयोग के फैसले के कुछ घंटों ठाकरे ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि वह केंद्र सरकार का गुलाम बन गया है। यह कल हमारे मशाल के चिह्न को भी छीन सकता है।
उन्होंने अपने समर्थकों से हार न मानने और जीतने के लिए लड़ाई लड़ने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि पार्टी और जनता उनके साथ है। उन्होंने कहा कि चोरों को कुछ दिनों के लिए खुश होने दीजिए। ठाकरे ने कहा कि देश में लोकतंत्र जिंदा रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय आखिरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर यह उम्मीद खत्म हो गई तो हमें हमेशा के लिए चुनाव कराना बंद कर देना चाहिए और एक व्यक्ति का शासन कायम कर देना चाहिए।
ठाकरे ने कहा कि शिंदे समूह ने भले ही कागज पर तीर-कमान का चिह्न चुरा लिया हो, लेकिन असली धनुष और तीर जिसकी बालासाहेब ठाकरे पूजा करते थे, वह मेरे पास हैं। उन्होंने उस स्थिति का वर्णन किया जो 19 जून, 1966 को हुई थी, जब शिवसेना का गठन हुआ था। उन्होंने कहा कि शिवसेना फिर से खड़ी होगी और खत्म नहीं होगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और लोग चोरों को सबक सिखाएंगे। (एजेंसी)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala