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श्री रामचरितमानस की 105 साल पुरानी उर्दू प्रति मिली

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वाराणसी। श्री रामचरितमानस की 105 साल पुरानी उर्दू भाषा की एक प्रति नई दिल्ली के एक कबाड़ी बाजार से मिली है।
 
उर्दू में छपी श्री रामचरितमानस की यह प्रति 1910 की है जिसे तीन साल पहले दिल्ली के हौजखास में एक कबाड़ी बाजार में फटी हुई किताबों के ढेर में पाया गया था। तब संकट मोचन मंदिर के पुजारी के परिवार ने इसे मात्र 600 रुपए में खरीद लिया था।
 
पुजारी का परिवार श्री रामचरितमानस की एक प्राचीन पांडुलिपि की खोज कर रहा था जिसे तुलसी घाट स्थित अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास से चुरा लिया गया था। इनके साथ गोस्वामी तुलसीदास से जुड़े कई और लेख भी चोरी हो गए थे। इसी खोज के दौरान पुजारी के परिवार को श्री रामचरितमानस की यह उर्दू प्रति मिली।
 
जब यह पांडुलिपियां चोरी हो गईं तो बनारस हिन्‍दू विश्वविद्यालय में जलगति विज्ञान के प्रोफेसर और संकट मोचन मंदिर के पूर्व पुजारी वीरभद्र मिश्रा के दो बेटों विशम्भर नाथ मिश्रा और विजय नाथ मिश्रा ने देशभर में इनकी खोज शुरू की।
 
उर्दू की यह प्रति शिव भरत लाल ने 1904 में लिखी थी जो भदोही के रहने वाले थे। बाद में इसे लाहौर के हाफ टोन प्रेस ने 1910 में प्रकाशित किया था। (भाषा) 

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