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नोटबंदी के साइड इफेक्ट भी कम नहीं...

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, सोमवार, 14 नवंबर 2016 (14:09 IST)
नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 1000 और 500 के नोट बंद किए जाने के फैसले की सराहना हो रही है तो आलोचना भी हो रही है। कहीं गंगा में नोट बहाए जाने की खबरें हैं, तो कहीं-कहीं इसके साइड इफेक्ट भी दिखाई दे रहे हैं। 
मध्यप्रदेश में 50 फीसदी एटीएम नहीं कर रहे काम : देश में आठ नवंबर की रात 500 और एक हजार का नोट बंद किए जाने के बाद से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत अन्य सभी स्थानों पर सोमवार को लगातार छठवें दिन भी लोगों को नगद राशि को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अतिव्यस्त रहे सप्ताहांत के बाद गुरुनानक जयंती के चलते देशभर की बैंकें बंद हैं। हालांकि एटीएम खुले रखे जाने की बात थी, लेकिन शहर के ज्यादातर एटीएम भी बंद हैं। कई बैंकों के एटीएम सुबह खुले थे, जिनके आगे भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी थी। बैंकिंग सेक्टर से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि प्रदेश  में लगभग 50 फीसदी एटीएम अभी भी काम नहीं कर रहे हैं।
 
भारी मात्रा में नकदी की समस्या सामने आ रही है, वहीं कुछ एटीएम में दो हजार रुपए के नोट को लेकर तकनीकी समस्याएं आ रहीं हैं। एक अनुमान के मुताबिक पूरे प्रदेश में लगभग 50 से भी ज्यादा बैंकें काम कर रही हैं, जिनमें 27 सार्वजनिक क्षेत्र की, 22 निजी क्षेत्र की और कई अन्य प्रकार की बैंकें हैं। प्रदेश भर में इन बैंकों की लगभग सात हजार 300 शाखाएं हैं, जिनमें लगभग 40 हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। पूरे प्रदेश में लगभग 10 हजार 300 के आसपास एटीएम हैं, जिनमें सबसे ज्यादा लगभग पांच हजार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के हैं। राजधानी भोपाल में एटीएम की संख्या लगभग 11 सौ है। वित्त मंत्रालय ने से बैंकों में नोट बदलने की सीमा 4000 से बढ़कर 4500 एवं साप्ताहिक निकासी की सीमा 20 हजार से बढ़  कर 24 हजार रुपये कर दी है। एटीएम से अब प्रतिदिन ढाई हजार रुपए मिल सकेंगे। इसके पहले सरकार ने कहा था कि प्रतिदिन चार हजार तक के नोट बदले जा  सकेंगे, वहीं एटीएम से भी प्रतिदिन दो हजार रुपए तक निकाले जाने की सीमा तय की गई थी।
 
बाजार से गायब हुए रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदार : पांच सौ और एक हजार रुपए के नोटों पर प्रतिबंध के बाद अर्थव्यवस्था में अचानक नकदी की कमी पैदा हो जाने के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों की संख्या घटकर एक चौथाई से भी कम रह गई है। साथ ही बाजारों में भीड़ भी काफी कम हो गई है।
दिल्ली के हर बड़े बाजार में शनिवार और रविवार को आम तौर पर चलने की भी जगह नहीं होती है। चलने के लिए बने रास्तों तथा फुटपाथों पर बड़ी संख्या में रेहड़ी-पटरी वाले या घूम-घूमकर सामान बेचने वाले होते हैं और उससे भी कहीं ज्यादा संख्या में उनसे सामान खरीदते तथा मोलभाव करते लोग। साथ ही बाजार में आने वालों का तांता भी लगा रहता है, लेकिन, गत बुधवार से पुराने नोटों पर प्रतिबंध की सरकार की घोषणा के बाद पहले सप्ताहांत पर नजारा कुछ और ही था। दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों की संख्या रविवार को बेहद कम रही।
 
जनपथ लेन भी सूनसान पड़ा था। जहां आम तौर पर 200 मीटर की दूरी तय करने में दस मिनट का समय लग जाता है, वहां आज रास्ते की असल चौड़ाई दिख  रही थी। टॉप की अस्थायी दुकान लगाने वाले रिंकू ने कहा कि सुबह से दो पीस ही बिके हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे सरकार के इस फैसले से खफा हैं।  रिंकू ने कहा "अभी तात्कालिक दिक्कत है जो बाद में ठीक हो जायेगी। मोदी जी ने बहुत अच्छा काम किया है। सरोजनी नगर बाजार में भी सप्ताहांत पर फुटपाथ  या रास्तों पर सामान बेचने वाले बहुत नजर आए। 
 
वृद्ध को पड़ा दिल का दौरा : उत्तर प्रदेश में जौनपुर के शाहगंज कोतवाली क्षेत्र में कल एक वृद्ध का बैंक से शादी के लिए पूरे रुपए न निकल पाने के कारण दिल का  दौरा पड़ने से देर रात उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस सूत्रों ने सोमवार को बताया कि सहावे गांव निवासी रामू मौर्या के पुत्र की शादी 16 नवंबर को है। रामू शादी में खर्च के लिए बैंक से रुपए निकालने बैंक गया था। बैंक से उसे मात्र चार हजार रुपए मिले। पूरे रुपए नहीं मिलने के कारण वह सदमे में आ गया। इसी सदमे के चलते रात में उसे दिल का दौरा पड़ गया। जहां अस्पताल में उसकी मौत हो गई। उसकी मृत्यु से घर में बज रही शादी की शहनाई की जगह मातम छा गया।

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