भोपाल। भोपाल स्थित एक केंद्रीय जेल से आज तड़के फरार हुए प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के आठों सदस्य शहर के बाहरी इलाके में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में मारे गए।
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि भोपाल जेल से फरार सभी आठ सिमी आतंकी भोपाल के बाहरी हिस्से में मालीखेड़ा में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस कर्मियों ने उन्हें मालीखेड़ा में खोजा और उन्हें घेर लिया गया। उन्होंने पुलिस को चुनौती दी जिसके बाद हुई मुठभेड़ में वह मारे गए।
इस तरह फरार हुए थे आतंकवादी : इससे पहले, भोपाल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (डीआईजी) रमनसिंह ने बताया था कि सिमी कार्यकर्ता कपड़े की चादरों की सहायता से तड़के करीब दो से तीन बजे के बीच जेल की दीवार फांद का फरार हो गए। भागने से पहले उन्होंने स्टील की नुकीली प्लेट और कांच से सिपाही की गर्दन पर वार कर उसकी हत्या कर दी।'
एक अधिकारी ने बताया कि फरार आरोपियों की पहचान अमजद, जाकिर हुसैन सादिक, मोहम्मद सालिक, मुजीब शेख, महबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अकील और माजिद के तौर पर हुई है।
भोपाल की सेंट्रल जेल से दीपावली की रात का फायदा उठाकर 2 बजे इन आतंकवादियों ने अपनी योजना को अंजाम दिया। चूंकि दिवाली होने के कारण जेल में स्टाफ कम रहता है इसी का उन्होंने फायदा उठाया। सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी बदलने के दौरान इन आतंकवादियों ने सबसे पहले एक आरक्षक को बंधक बनाया फिर प्रधान आरक्षक रमाशंकर की कला रेतकर हत्या कर दी थी। हत्या के लिए कैदियों ने कोई धारदार वस्तु का इस्तेमाल किया था। कहते है कि उन्होंने गिलास और थाली से हथियार बनाया, चादर से रस्सी बनाई थी। इसके बाद इन्होंने जेल की चादर की रस्सी बनाकर उसकी सीढ़ियां बनाई और फिर दीवार फांदकर भाग गए थे।
तीन साल में सिमी के कार्यकर्ताओं की जेल तोड़ने की यह दूसरी घटना है। इससे पहले वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश के खंडवा में एक जेल से सिमी के सात सदस्य भाग निकले थे। एक अक्टूबर 2013 को सिमी के 7 सदस्य मध्यप्रदेश के खंडवा में स्थित जिला जेल से 14 फुट उंची दीवार फांद कर भाग गए थे। इनमें से एक कैदी ने अगले दिन आत्मसमर्पण कर दिया था और एक अन्य कैदी को मध्यप्रदेश के बड़वानी से दिसंबर 2013 में पकड़ा गया था। तीसरा कैदी पांच अप्रैल 2015 को तेलंगाना पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया था। 4 कैदियों की पुलिस लगातार 3 साल तक तलाश करती रही और फरवरी 2016 में इन्हें ओडिशा के राउरकेला से गिरफ्तार किया गया। जब चारों कैदी फरार थे तब वह लोग मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में आतंकवादी गतिविधियों में कथित तौर पर लिप्त थे।
ऐसा माना जाता है कि ये लोग तेलंगाना के करीमनगर स्थित एक बैंक में लूटपाट के एक मामले में और एक फरवरी 2014 को चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर बेंगलूरु-गुवाहाटी ट्रेन में हुए विस्फोट में लिप्त थे। इस विस्फोट में एक युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर की मौत हो गई थी। एक मई 2014 को पुणे के फर्शखाना पुलिस थाने में और 10 जुलाई 2014 को विश्रामबाग पुलिस थाने के समीप हुए इस विस्फोट में भी इन लोगों का हाथ होने की आशंका है। बताया जाता है कि यह लोग उत्तराखंड के रूड़की और उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुई बम विस्फोट की घटनाओं में भी कथित तौर पर लिप्त थे।