भोपाल। लद्दाख को लेकर अपनी मांगों को लेकर दिल्ली चलो यात्रा के अंतिम पड़ाव दिल्ली बॉर्डर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक दिल्ली पुलिस की हिरासत में है। दिल्ली पुलिस ने सोनम वांगचुक को हिरासत मे लेकर भावना पुलिस स्टेशन में रखा है। वहीं उनके साथ यात्रा में शामिल करीब 150 अन्य लोगों को भी पुलिस ने हिरासत में रखा है। वहीं पुलिस की कार्रवाई के विरोध मेंं सोनम वांगचुक के साथ यात्रा मेंं शामिल लोगों ने अनशन शुरु कर दिया है।
दिल्ली पुलिस ने सोनम वांगचुक को उनके साथियों के साथ उस वक्त हिरासत में लिया जब वह सोमवार देर शाम अपने साथियों के साथ हरियाणा से दिल्ली बॉर्डर में दाखिल हुए। दिल्ली पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए सोनम समेत सभी को हिरासत में लिया है। वहीं सोनम वांगचुक के साथ हिरासत में लिए गए सभी लोगों को अलग अलग पुलिस स्टेशन में रखा गया है। गौरतलब है दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली के कई इलाकों में BNNS की धारा 163 लगाई है जिसके बाद 5 से ज्यादा लोगों के एक साथ जमा होने पर रोक के साथ धरना और प्रदर्शन पर भी रोक है।
वहीं सोनम वांगचुक ने पुलिस कार्यवाही को लेकर सवाल उठाते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उनके शांतिपूर्ण पदयात्रा को रोकने की कोशिश पुलिस की तरफ से हो रही है। हजारों की संख्या में पुलिस बल को दिल्ली बॉर्डर पर जमा किया गया है। उन्होंने कहा कि मुझे हिरासत में लेने के बाद कहां ले जाया जाएगा इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है, साथ ही उन्होंने कहा कि उनके हौसले बुलंद हैं. देश की जनता उनके साथ है।
वहीं सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने का विरोध लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने किया है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा "सोनम वांगचुक जी और पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण मार्च कर रहे सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है, लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्गों को दिल्ली की सीमा पर क्यों हिरासत में लिया जा रहा है? मोदी जी, किसानों की तरह यह चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा. आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी।"
लद्दाख के हितों को लेकर सोनम वांगचुक ने अपने समर्थकों के साथ 1 सितंबर को लेह से नई दिल्ली तक पैदल मार्च की शुरुआत की। सोनम वांगचुक की प्रमुख मांगों में से एक है लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना, जिससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके, इसके अलावा वह लद्दाख को राज्य का दर्जा और लद्दाख के लिए मजबूत पारिस्थितिक सुरक्षा की वकालत कर रहे हैं. अपनी इन मांगों को लेकर वह लेह में नौ दिनों का अनशन भी कर चुके हैंतब उनका जोर लद्दाख की नाजुक पर्वतीय पारिस्थितिकी और स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के महत्व पर अधिकारियों का ध्यान खींचने पर था।