नई दिल्ली। मौसम विभाग ने जून से सितंबर के दौरान बारिश लाने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून के इस साल सामान्य रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने बुधवार को दक्षिण-पश्चिम मानसून के पहले दीर्घकालिक अनुमान को जारी करते हुए बताया कि पिछले सालों की तरह देश में इस साल भी मानसून सामान्य रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए यह स्थिति मददगार साबित होगी।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य तौर पर 1 जून को दक्षिणी इलाकों से देश में दस्तक देता है और 30 सितंबर तक इसकी वापसी हो जाती है। डॉ. राजीवन ने बताया कि मौसम विभाग ने इस साल से मानसून के आने और वापस जाने की तारीखों में भी बदलाव किया है। हालांकि केरल में इस मानसून के इस साल 1 जून को ही दस्तक देने का अनुमान है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बुधवार को जारी किया गया पूर्वानुमान दक्षिण-पश्चिम मानसून की राष्ट्रीय स्थिति को दर्शाता है। इसका क्षेत्रीय पूर्वानुमान मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह में जारी किया जाएगा जिसके आधार पर यह बताया जा सकेगा कि देश के किस इलाके में मानसून की बारिश का कैसा हाल रहने का अनुमान है?
मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अनुमान के मुताबिक 1 जून को केरल तट से दस्तक दे सकता है और विभिन्न शहरों में मानसून के दस्तक देने और वापसी की अनुमानित तारीखों का निर्धारण कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दशकों से जलवायु संबंधी परिस्थितियों में सामान्य रूप से होने वाले समयगत बदलावों के देखते हुए मानसून की दस्तक और वापसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से पहले या देर से हो रही थी। इसे देखते हुए मौसम विभाग ने 1950 के दशक में निर्धारित किए गए मानसून के कार्यक्रम को इस साल पुनर्निर्धारित किया है।
डॉ. महापात्रा ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में बारिश की मात्रा दीर्घकालिक अनुमान के मुताबिक शत-प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान बारिश की मात्रा 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच रहने की स्थिति को सामान्य श्रेणी में रखा जाता है। (भाषा)