ISRO SpaDex mission : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की डॉकिंग सफलतापूर्वक की। भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।
इसरो ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। सुप्रभात भारत, इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने डॉकिंग में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।
इसरो ने 30 दिसंबर, 2024 को स्पेडेक्स मिशन को सफलतापूर्वक शुरू किया था। 12 जनवरी को इसरो ने उपग्रहों को डॉक करने के परीक्षण के तहत दो अंतरिक्ष यान को तीन मीटर की दूरी पर लाकर और फिर सुरक्षित दूरी पर वापस भेजा था।
दो छोटे उपग्रहों, एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) को 24 पेलोड के साथ ले जाने वाले पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्चपैड से उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के करीब 15 मिनट बाद लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान को लक्षित तरीके से 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था।
इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग कर अंतरिक्ष में डॉकिंग के लिए एक किफायती प्रौद्योगिकी मिशन है जिसे पीएसएलवी के जरिये लॉन्च किया गया था।
क्या होती है डॉकिंग : जब दोनों यान तेज रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे होंगे तो चेजर टारगेट का पीछा करेगा और दोनों तेजी से एक दूसरे के साथ डॉक करेंगे। अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक तब आवश्यक होती है जब सामान्य मिशन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपण की आवश्यकता होती है। यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे चंद्रमा पर भारतीय मिशन, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि के लिए आवश्यक है।