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भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह पर संसद का विशेष सत्र...

हमें फॉलो करें भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह पर संसद का विशेष सत्र...
नई दिल्ली , बुधवार, 9 अगस्त 2017 (11:20 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने बुधवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह पर संसद में विशेष सत्र बुलाया है। सत्र से जुड़ी हर जानकारी... 
 
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद सोनिया गांधी ने संसद को संबोधित किया। उन्होंने कहा... 
- कई बार कानून के राज पर गैरकानूनी शक्तियां हावी होती हैं, हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है।
- हमें एक ऐसे भारत के लिए लड़ना है जिसमें इंसानी आजादी, स्वेच्छा और न्यायसंगत व्यवस्था हो। हम इसकी लड़ाई लड़ेंगे।
- ऐसा लगता है कि देश पर संकीर्ण मानसिकता वाली, विभाजनकारी और सांप्रदायिक सोच वाली शक्तियां हावी हो रही हैं। 
- आजादी सुरक्षित रखने के लिए दमनकारी शक्तियों से लड़ना होगा। 
- अभिव्यक्ति की आजादी हावी होती जा रही है। 
- कानून के राज पर अलोकतांत्रिक शक्तियां हावी होने का प्रयास कर रही हैं। 
- बापू के नेतृत्व में देश अंग्रेजों से आजाद हुआ। 
- आंदोलन के महान वीरों को सलाम करती हूं।
* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा-
- भ्रष्टाचार दूर करेंगे और करके रहेंगे। 
- देश से गरीबी खत्म करेंगे और करके रहेंगे। 
- संकल्प लेना होगा कि देश से अशिक्षा खत्म करेंगे और करके रहेंगे। 
- महात्मा गांधी ने नारा दिया 'करो या मरो', लोगों ने कहा कि 'करेंगे या मरेंगे'।
- कुछ मुद्दों पर सहमति बनाकर हम बड़ा काम कर सकते हैं। 
- जीएसटी की सफलता यहां सदन में बैठे हर व्यक्ति की इच्छाशक्ति का परिणाम। 
- जीएसटी की सफलता किसी सरकार की सफलता नहीं। 
- कानून सिर्फ मदद कर सकता है लेकिन लोगों में कर्तव्य का भाव जगाना जरूरी। 
- हमें चरित्र की कई बातें गलत नहीं लगतीं। 
- हमारे जीवन में कुछ ऐसी चीजें घुस गई हैं कि हमें लगता ही नहीं कि हम कानून तोड़ रहे हैं। 
- नियम, कानून को तोड़ना स्वभाव बनता जा रहा है। 
- गरीब, शोषित का काम करना हम सबका काम। 
- जाने-अनजाने में अहंकार भाव प्रबल हो गया और कर्तव्य का भाव दुर्बल। 
- भ्रष्टाचार के दीमक ने पूरे देश को बर्बाद किया। 
- गरीबी, भ्रष्टाचार सरकार ही नहीं पूरे देश के सामने चुनौती। 
- हमारे लिए दल से बड़ा देश और राजनीति से बढ़कर राष्ट्रनीति होती है। 
- सवा सौ करोड़ लोग मिलकर काम करें तो महात्मा गांधी के सपनों को पूरा किया जा सकता है। 
- विश्व को फिर प्रेरणा दे सकता है भारत। 
- रामवृक्ष बेनीपुरी ने कहा था, मुंबई ने रास्ता दिखाया। 
- ब्रिटेन के उपनिवेशवाद की शुरुआत और अंत यहीं हुआ।
- देश ने खुद को क्रांति के हवन में झोंक दिया। 
- जब संकल्प से कोई चलता है तो 5 साल में आजादी मिल जाती है। 
- देश आजादी के लिए छटपटा रहा था। 
- बापू कहते थे कि अंग्रेज की हिंसा को शहीद शरीर पर लिखा करेंगे या मरेंगे। 
- युवा पीढ़ी के लिए यह जानना जरूरी कि भारत छोड़ो आंदोलन क्या था।
- आजादी लोगों की प्रबल इच्छाशक्ति का परिणाम था। 
- 1947 से पहले 1942 में हुआ यह आंदोलन अंतिम व्यापक आंदोलन था। 
- 42 में देश एकजुट हुआ, अभी नहीं तो कभी नहीं की भावना जगी। 
- आजादी के लिए देशवासियों को सिर्फ समय का इंतजार था। 
- 1947 में देश में आजाद हुआ। 1857 से 1947 तक आंदोलन में अलग-अलग उतार-चढ़ाव आए। 
- आज का दिन हमारे लिए गौरव की बात। 
- अगस्त क्रांति के 50 साल पर सभी लोगों ने उन घटनाओं का स्मरण किया।
* राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुरू की विशेष चर्चा। 
* इसमें 1942 के नायकों के बलिदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। 
* केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 9 अगस्त को संसद का विशेष सत्र आहूत कर आजादी की इन क्रांति गाथाओं को एक बार पुन: स्मरण करने का संकल्प लिया है।
* इस विशेष सत्र में लोकसभा अध्यक्ष संकल्प पढ़ेंगी और इसके बाद भाजपा की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, लोकसभा में इस विशेष सत्र में चर्चा शुरू करेंगी। राज्यसभा में यह जिम्मेदारी वित्तमंत्री अरुण जेटली की होगी।
* उसके बाद दिनभर पक्ष-विपक्ष के नेता चर्चा में हिस्सा लेंगे और फिर प्रधानमंत्री मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ इस विशेष सत्र की चर्चा का समापन करेंगे।
 
क्यों खास है 9 अगस्त की तारीख? : 9 अगस्त को देश 'भारत छोड़ो आंदोलन' की सालगिरह के रूप में मनाता है। इस दिन को काकोरी कांड के लिए भी जाना जाता है। 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से सहारनपुर रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुई ट्रेन को क्रांतिकारियों ने लूटकर अंग्रेजों को चुनौती दी थी।
इस घटना के ठीक 17 साल बाद 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' के रूप में ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ का ऐलान किया था।

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