जम्मू। Sticky bombs a new threat during Amarnath Yatra : अमरनाथ यात्रियों को बेखौफ कश्मीर में आने का न्यौता देने वाली कश्मीर पुलिस साथ ही कह रही है कि इस बार कश्मीर में जिन स्टिकी बमों का खतरा मंडरा रहा है अमरनाथ यात्रा उससे दो चार हो सकती है। हालांकि अभी तक स्टिकी बम हमले की एक घटना कश्मीर, एक जम्मू में हो चुकी है जबकि सांबा सेक्टर में दर्जनों स्टिकी बम पकड़े जा चुके हैं।
हालांकि सुरक्षाबल उन सूचनाओं को जिनमें खुफिया अधिकारी कहते हैं कि एक बड़ी खेप कश्मीर में पहुंच चुकी है, अब गंभीरता से लेने लगे हैं। कश्मीर रेंज के आईजीपी ने अमरनाथ यात्रा पर आने की तैयारी कर रहे श्रद्धालुओं से कहा कि वे बिना खौफ यात्रा पर आएं। उनकी सुरक्षा में जम्मू-कश्मीर पुलिस सहित अन्य सुरक्षाबल तैनात हैं।
उन्होंने कहा कि 30 जून से शुरू होने वाली बाबा अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से चलाने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त किए गए हैं। आईजीपी ने कहा कि कश्मीर में स्टिकी बम का मिलना बेशक एक समस्या है लेकिन स्थिति चिंताजनक नहीं है। हम इससे प्रभावी ढंग से निपटेंगे और शांतिपूर्ण यात्रा सुनिश्चित करेंगे। कुछ पत्रकारों से बात करते हुए आईजीपी ने कहा कि यात्रा मार्ग पर सुरक्षाबलों की गश्त लगातार रहेगी।
यही नहीं, आतंकवादियों व शरारती तत्वों पर नजर रखने के लिए जगह-जगह 360 डिग्री पर घूमने वाले सीसीटीवी कैमरें भी लगाए जाएंगे। यानी यात्रा मार्गों पर सुरक्षाबलों की चौबीसों घंटे नजर रहेगी। “किसी भी तीर्थयात्री वाहन को नागरिक वाहनों के साथ घुलने-मिलने की अनुमति नहीं होगी। सभी मार्गों पर तीर्थयात्रियों के वाहनों के गुजरने का समय निर्धारित होगा।
आइजीपी ने कहा कि तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए सुरक्षाबल प्रतिबद्ध हैं। कश्मीर में तीर्थ यात्रा के लिए सभी सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर में स्टिकी बम का मिलना खतरे की बात है परंतु सुरक्षाबलों ने उससे निपटने की रूपरेखा तैयार कर ली है। यात्रा प्रबंधों को लेकर लगातार प्रबंधों की समीक्षा की जा रही है।
सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा करने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवान शिव भक्तों की सुरक्षा व उनकी हरसंभव सहायता के लिए यात्रा मार्ग पर उपलब्ध रहेंगे।
उन्होंने बताया कि गर्मियों में घाटी में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी जाएगी। हम नाकों में बढ़ोतरी करेंगे जबकि शिफ्टिंग कैंपों को भी बढ़ा रहे हैं। अगले कुछ दिनों में हमें और अधिक सुरक्षाकर्मी मिलेंगे। जहां भी आवश्यकता होगी, हम सुरक्षाबलों की तैनाती करेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस साल जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा सुरक्षित और घटनारहित होगी।
पाकिस्तान फिर से ड्रोन-ड्रोन खेलने लगा : यूं अमरनाथ यात्रा की शुरुआत को दिन नजदीक आ रहा है पाकिस्तान ने एक बार फिर सीमांत इलाकों में ड्रोन-ड्रोन खेलना आरंभ कर दिया है। दो दिनों में दो जगह ड्रोन देखे जाने की खबरों के बाद तलाशी अभियान चलाए तो गए, पर हाथ कुछ नहीं आया था। हालांकि कई इलाकों में आतंकी घुसपैठ की अफवाहों के बाद तलाशी अभियान भी छेड़े गए हैं। आज भी जम्मू जिले के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन दिखाई दिया।
इसकी सूचना के बाद पूरे इलाके में सर्च अभियान शुरू किया गया। अरनिया इलाके में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों के अलावा अन्य एजेंसियों को लगाया गया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इलाके में सभी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
इससे पहले भी कई बार इलाके में ड्रोन दिखने की घटनाएं हो चुकी हैं। कल भी इस इलाके में ड्रोन की गतिविधि देखे जाने के बाद देर रात को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के जवानों के साथ मिलकर इलाके में तलाशी अभियान चलाया था।
हालांकि बीएसएफ का दावा था कि उसने ड्रोन को गिराने के लिए कई चक्र गोलियां दागी थीं। देर रात तक वहा कोई संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई। पाकिस्तान की ओर से जम्मू कश्मीर में गड़बड़ी फैलाए जाने के लिए अक्सर ड्रोन से हथियार या मादक पदार्थ सीमा के इस बार भेजे जाते हैं।
पिछले साल 27 जून को जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले के बाद पाकिस्तान से सटी जम्मू कश्मीर की आईबी और एलओसी पर उस पार से ड्रोन हमलों व हथियारों के साथ ही मादक पदार्थों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने की पाकिस्तानी साजिशों को नाकाम करने की खातिर अब एंटी ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए बीएसएफ, एनएसजी तथा डीआरडीओ के संयुक्त तत्ववधान में एंटी ड्रोन तकनीक विकसित की गई है जिसे परीक्षण के तौर पर जम्मू के 264 किमी लंबे इंटरनेशनल बार्डर तथा 814 किमी लंबी एलओसी पर कई स्थानों पर स्थापित किया जा चुका है।
हालांकि जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद इन हमलों को रोकने के लिए एनएसजी के कमांडों तैनात किए गए थे और बाकी स्थानों पर सेना तथा बीएसएफ ने जुगाड़ की तकनीकें अपनाई थीं। इस जुगाड़ में उन्होंने एंटी एयरक्राफ्ट गनों की ही तरह एलएमजी को बायपोड पर जोड़ कर कई ड्रोन हमलों को नाकाम बनाया था।
अब बीएसएफ, एनएसजी तथा डीआरडीओ ने जिस तकनीक को विकसित किया है वह लगभग इसरायल की एंटी ड्रोन तकनीक पर ही आधारित है जिसका इसरायल द्वारा सफतलापूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकारियों के बकौल, एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर पर सुरक्षाबलों की चौकसी व सतर्कता के कारण पाकिस्तान अब कश्मीर में आतंकवाद को जिन्दा रखने के लिए ड्रग्स व हथियारों की आपूर्ति वाया एयर ही कर रहा है जो सुरक्षाबलों के लिए नए खतरे के तौर पर सामने आ रहा है। कई बार वह ऐसा करने में कामयाब भी हो चुका है।
एलओसी के पार लांचिंग पैडों में फिर हलचल बढ़ी : सेना के सूत्रों के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आतंकियों को लांचिंग पैडों से हटाकर पाक सेना ने टेरर कैंपों में भेजा था। अब सीमा पार लान्चिंग पैड पर आतंकियों की हलचल फिर बढ़ी है। सुरक्षाधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि सीमा पार लांचिंग पैडों पर आतंकी एक बार फिर घुसपैठ के लिए जुटने लगे हैं।
मालूम हो कि एलओसी से 4.5 किलोमीटर दूर ये लांचिंग पैड हैं। एलओसी के पार करीब 42 लांचिंग पैड पर ये आतंकी देखे गए हैं। पाक सेना की मदद से लांचिंग पैड पर आतंकियों को फिर पहुंचाया गया है।
सीमा पार करीब 42 लांचिंग पैड पर आतंकी मौजूद हैं। नौशहरा, केरन में सीमा पार लांचिंग पैड पर आतंकी देखे गए हैं। साथ ही टंगधार, रामपुर में भी सीमा पार लांचिंग पैड पर आतंकियों की मौजूदगी देखी गई है। इन आतंकियों को सैन्य शिविरों से निकालकर पाक सेना सीमा पर अपनी पोस्टों पर ले आई है और यहां से ही इन्हें घुसपैठ करने के लिए भेजे जाने की पूरी तैयारी है।
आतंकियों की घुसपैठ की आशंका को देखते हुए भारतीय सेना भी पूरी तरह से सतर्क हो गई है। सेना के सूत्रों के मुताबिक अभी हाल ही में इस्लामाबाद में आतंकी संगठनों और आईएसआई के अधिकारियों की बैठक में घुसपैठ के लिए रणनीति बनाई गई। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि पहाड़ों व नालों में बर्फ के पिघलते ही घुसपैठ में तेजी लाई जाए और जल्द आतंकियों को सीमा पार करके भारतीय क्षेत्र में पहुंचाया जाए।
भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी अब आतंकियों के सीमा पार करने के प्रयास को लेकर सीमा पर चौकसी को और भी कड़ा कर दिया है। वैसे भी इस बार भीषण गर्मी के कारण बर्फ के जल्द पिघल जाने से भारतीय सेना परेशान है जिसे अतिरिक्त कुमुक एलओसी के इलाकों में घुसपैठ को रोकने के लिए भिजवानी पड़ी है।