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KBC में छा जाने वालीं सिंधु ताई सपकाळ की दर्दनाक कहानी

हमें फॉलो करें KBC में छा जाने वालीं सिंधु ताई सपकाळ की दर्दनाक कहानी
अमिताभ बच्चन के गेम शो 'कर्मवीर स्पेशल एपिसोड' केबीसी में वरिष्ठ समाजसेवी सिंधुताई सपकाळ शामिल हुईं। केबीसी के 11वें एपिसोड को लेकर सोनी टीवी के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया गया। सिंधु ताई सपकाळ को महाराष्ट्र की मदर टेरेसा टेरेसा कहा जाता है। सिंधु ताई एक ऐसी मां हैं, जिनके आंचल में एक-दो नहीं, बल्कि हजारों बच्चे दुलार पाते हैं।

जीवन की दर्दनाक कहानी : सिंधु ताई के जीवन की कहानी बेहद दर्दनाक है, मगर उससे उबरकर उन्होंने दूसरों की जिंदगी को रोशन करने का जो जज्बा दिखाया, वह हैरान कर देने वाला है। महज 9 वर्ष की उम्र में उनका विवाह एक अधिक उम्र के व्यक्ति के साथ कर दिया गया। चौथे दर्जे तक पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। कुछ सालों बाद आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो ससुराल वालों का विरोध सामने आया और उन्हें घर से निकाल दिया गया। उस समय वे गर्भवती थीं।

कुछ महीने बाद एक बेटी को जन्म दिया और अगले 3 वर्ष ट्रेनों में भीख मांगकर गुजारा करते हुए बीते। बच्चे के जन्म के समय गर्भनाल स्वयं महिला को पत्थर से तोड़ना पड़े, इससे बड़ा दुख किसी महिला की जिंदगी में क्या होगा? सिंधु ताई सपकाळ ने यह दुख भोगा है और यही नहीं इसके जैसे कई दुख और भी हैं।

अपने संघर्ष के दिनों में उन्हें बेटी को एक अनाथाश्रम में रखने की नौबत आ पड़ी। बेटी को छोड़ने के बाद रेलवे स्टेशन पर जब एक निराश्रित बच्चा मिला तो उनके मस्तिष्क में विचार कौंधा कि ऐसे हजारों बच्चे और भी हैं। उनका क्या होगा? इसके बाद शुरू हुआ यह अंतहीन सिलसिला जो आज महाराष्ट्र की 5 बड़ी संस्थाओं में तब्दील हो चुका है।

इन संस्थाओं में जहां हजारों अनाथ बच्चे (वैसे ताई की संस्था में अनाथ शब्द का उपयोग वर्जित है) एक परिवार की तरह रहते हैं, वहीं विधवा व परित्यक्ताओं को भी इनमें आसरा मिला है। ताई सबकी मां हैं और सभी के पालन-पोषण व शिक्षा-चिकित्सा का भार उन्हीं के कंधों पर है।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय समेत करीब 172 अवॉर्ड पा चुकीं ताई आज भी अपने बच्चों को पालने के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने से नहीं चूकतीं। वे कहती हैं कि मांगकर यदि इतने बच्चों का लालन-पालन हो सकता है तो इसमें कोई हर्ज नहीं।

सभी बच्चों को वे अपना बेटा या बेटी मानती हैं। रेलवे स्टेशन पर मिला वह पहला बच्चा आज उनका सबसे बड़ा बेटा है और पांचों आश्रमों का प्रबंधन उसके कंधों पर है। अपनी सैकड़ों बेटियों का वे धूमधाम से विवाह कर चुकी हैं और परिवार में बहुएं भी आ चुकी हैं।

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