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अच्छा इंसान ही अच्छा पत्रकार होता है-सुमित अवस्थी

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न्यूज18 इंडिया के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर सुमित अवस्थी का मानना है कि एक अच्छा इंसान ही अच्छा पत्रकार बन सकता है और अच्छा पत्रकार एक अच्छा एंकर। मीडिया में काम करने वालों के लिए आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता की है। 
 
वेबदुनिया से खास बीतचीत में अवस्थी ने कहा कि देश में मीडिया संस्थान, टीवी चैनल, वेबसाइट्‍स और अखबारों की संख्‍या तो बढ़ी है, लेकिन पत्रकारिता के मूल्यों में, साख में कमी आई है, स्तर में गिरावट आई है। हालांकि यह सिर्फ मीडिया के क्षेत्र में हुआ है, ऐसा नहीं है। देश, दुनिया, समाज सभी जगह मूल्यों में गिरावट आई है, जो कि हर क्षेत्र में दिखाई दे रही है। चाहे वह चिकित्सा का क्षेत्र हो या इंजीनियरिंग का या फिर कोई और सभी जगह गिरावट दिखाई दे रही है। 
 
मीडिया मूल्यों में आई गिरावट के कारणों पर चर्चा करते हुए सुमित कहते हैं कि दरअसल, बड़ी मात्रा में संस्थान खुल गए हैं और थोक के भाव में डिग्रियां बांटी जा रही हैं, लेकिन अच्छे शिक्षकों का अभाव है। ऐसे में हम नई पीढ़ी को अच्छे मूल्य नहीं सौंप पा रहे हैं। ऐसे में अच्छे पत्रकार तैयार कैसे होंगे?
मीडिया में करियर बनाने का ख्वाब देखने वाले युवाओं को सुमित सलाह देते हैं कि एक पत्रकार को जमीन से जुड़ा होना चाहिए। उसका सामान्य ज्ञान बहुत अच्छा होना चाहिए। अच्छे मीडिया संस्थान से ट्रेनिंग भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जो लोग पत्रकारिता के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं उन्हें खूब अध्ययन करना चाहिए। उन्हें मीडिया के मूल्यों की, आचार संहिता की जानकारी होनी चाहिए। खबरों को तौलना और परिष्कृत करना भी आना चाहिए।
 
ऐसे लोग जो मीडिया की चमक-दमक देखकर एंकर बनना चाहते हैं, उन्हें नसीहत देते हुए सुमित कहते हैं कि ज्यादा अच्छा होगा कि ऐसे लोग फिल्मों और टीवी सीरियल में एक्टिंग करें। क्योंकि अच्छा पत्रकार ही अच्छा एंकर बन सकता है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को ऐसी खबरें नहीं देनी चाहिए, जिससे लोग भड़क जाएं और समाज में माहौल बिगड़े। एक पत्रकार का काम समाज को जोड़ना है न कि तोड़ना। 
उन्होंने कहा कि मीडिया के भीतर काम करने वालों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वे जो वे लिख रहे हैं या सुना रहे उससे उनकी साख तय होती है। इसी से उनकी विश्वसनीयता भी तय होती है। यदि हम सही चीज दे रहे हैं उससे हमारी साख बढ़ती, जबकि कुछ गलत देते हैं तो उससे साख पर बट्‍टा पर लगता है। अथॉरिटी को चुनौती देना पत्रकार का काम है। जहां तक मेरा मानना है जो चीज मुझे अच्छी लगती है मैं उसे बोलता हूं और जो मुझे अच्छी नहीं लगती है उसे और तेज आवाज में बोलता हूं। 
 
मीडिया में स्वयं की शुरुआत के सवाल पर सुमित अवस्थी कहते हैं कि चूंकि मेरे पिता आल इंडिया रेडियो में थे, इसलिए मेरा बचपन समाचार लिख-सुनकर ही बीता है। कह सकते हैं कि न्यूज मेरे डीएनए में है। उस जमाने में टीवी नहीं हुआ करता था। शुरू से ही इस क्षेत्र में मेरी दिलचस्पी थी। वे कहते हैं कि मीडिया भी एक प्रोफेशन हैं, लेकिन प्रोफेशन एक गंदा शब्द है, मैंने इसके लिए नया शब्द गढ़ा है, 'प्रोफेशन बट विद ए मिशन'।
 

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