पटना। लोकसभा अध्यक्ष एवं राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के भारतीय प्रक्षेत्र की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने समावेशी विकास की अवधारणा की वकालत करते हुए शनिवार को कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि सभी के सहयोग से ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
श्रीमती महाजन ने बिहार में पहली बार हो रहे छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन में कहा कि समावेशी विकास के लिए सम्मिलित प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल विकसित होना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित किया जाना भी जरूरी है कि विकास स्थाई और टिकाऊ हो।
उन्होंने कहा, हम लोग न्याय के साथ समावेशी विकास की अवधारणा को अपना सकते हैं और इस लक्ष्य को सभी के सहयोग से ही हासिल किया जा सकता है। इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने दार्शनिक अंदाज में कहा कि वर्षा किसी क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं करती और ठीक इसी तरह बिना किसी पक्षपात के विकास भी सभी तक पहुंचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सीपीए ने अपने प्रमुख एजेंडे के रूप में स्थाई विकास के लक्ष्य को स्वीकार किया है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जनप्रतिनिधियों को बिना किसी राजनीतिक मतभेद के कड़ी मेहनत करनी चाहिए। श्रीमती महाजन ने कहा कि विकास के लिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और सदन में किसी भी मुद्दे पर चर्चा समाधान ढूंढने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है।
उन्होंने कहा कि स्थाई विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे के साथ संतुलन बनाकर काम करना चाहिए। इस मौके पर सीपीए कार्यकारी समिति की अध्यक्ष एमिलिया मोनोजोवा लिफाका ने कहा कि सीपीए को गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, नारी सशक्तिकरण और वंचितों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
सुश्री लिफाका ने कहा, मेरे लिए खुशी की बात है कि सीपीए कार्यकारी समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी संभालने के दो महीने के भीतर ही सम्मेलन में भाग लेने के बिहार आने का मौका मिला। इस अवसर पर बिहार सरकार के आतिथ्य और सत्कार से मैं काफी प्रभावित हूं। अपने देश से दूर होने के बावजूद बिहार में मुझे घर जैसा अनुभव हो रहा है।
इससे पूर्व बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सम्मेलन में भाग लेने आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन की मेजबानी करना बिहार के लिए ऐतिहासिक अवसर की तरह है।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन ने जनप्रतिनिधियों को स्थाई विकास के लक्ष्य हासिल करने में उनके अनुभव साझा करने का अवसर प्रदान किया है। चौधरी ने सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए नियमावली बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए तो प्रावधान किया गया है, लेकिन विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में नियमावाली की धारा 184 के तहत बहुमत साबित करने के लिए सरकार द्वारा सदन में विश्वास प्रस्ताव लाया जाता है लेकिन वह इस उद्देश्य के लिए नहीं है। उल्लेखनीय है कि छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन में देश के सभी राज्यों के साथ ही ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कैमरून एवं अन्य देशों के 100 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। (वार्ता)