नोएडा। अवैध रूप से नोएडा में बनाया सुपरटेक का बहुमंजिला ट्विन टॉवर 28 अगस्त को कुछ ही समय में धराशायी कर दिया जाएगा। इसको गिराने में करीब 3700 किलो डाइनामाइट का इस्तेमाल किया जाएगा। इसको गिराने में करीब 20 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। बताया जा रहा है कि 1825 दिन में बना यह टॉवर विस्फोटकों की मदद से कुछ ही सेकंडों (12 से 15 सेकंड) में गिरा दिया जाएगा।
तैयारी की अंतिम समीक्षा : नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋतु माहेश्वरी ने कहा है कि सुपरटेक के दो अवैध टावरों को ढहाने की तैयारी की बृहस्पतिवार को समीक्षा की गई और उन्हें निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 28 अगस्त को दोपहर बाद ढाई बजे गिराया जाएगा।
एक आदेश के अनुसार नोएडा पुलिस ने इन टावरों को गिराए जाने के मद्देनजर सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए 26 से 28 अगस्त तक उपनगर के आसमान में ड्रोनों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत आने वाला नोएडा प्राधिकरण यहां सेक्टर 93 में करीब 100 मीटर ऊंचे इन ढांचों को ढहाए जाने के काम पर नजर रख रहा है। माहेश्वरी एमराल्ड कोर्ट गईं और उन्होंने स्थानीय रेसीडेंट समूहों समेत संबंधित पक्षों एवं अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ बैठक की।
कुतुब मीनार से भी ऊंचे हैं ये टावर : दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचे नोएडा में सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर 28 अगस्त को ध्वस्त की जाने वाली भारत की सबसे ऊंची इमारतें बन जाएंगी। परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि 100 मीटर से थोड़ी ज्यादा ऊंची इमारतें 15 सेकंड से भी कम वक्त में ताश के पत्तों से बने घर की तरह ढह जाएंगी। ध्वस्तीकरण की यह प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीके से अंजाम दी जाएगी और उसके लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा।
55000 टन मलबा निकलेगा : इसके ध्वस्तीकरण के बाद सबसे बड़ा सवाल 55,000 टन के मलबे का निस्तारण करने को लेकर पैदा होगा। मुंबई स्थित कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग दक्षिण अफ्रीका की अपनी साझेदारी कंपनी जेट डिमोलिशंस के साथ मिलकर ध्वस्तीकरण का जिम्मा संभाल रही है, जो उसके लिए दुनिया में सिविल इंजीनियरिंग के सबसे बड़े कारनामों में से एक है।
एडिफिस इंजीनियरिंग के अधिकारी उत्कर्ष मेहता ने सभी विस्फोटकों में धमाका होने में नौ से 10 सेकंड का वक्त लगेगा और धमाके की जोरदार आवाज आएगी। धमाकों के बाद इमारतें एक बार में नहीं गिरेंगी और उन्हें पूरी तरह मलबे के ढेर में तब्दील होने में 4 से 5 सेकंड का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि धूल का गुबार छंटने में लगभग 10 मिनट का वक्त लगेगा।
एडिफिस इंजीनियरिंग पहले केरल के मराडु में अवैध रिहायशी इमारतों, तेलंगाना के सचिवालय और केंद्रीय कारागार तथा गुजरात में पुराना मोटेरा स्टेडियम ध्वस्त करने का जिम्मा उठा चुकी है। परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि ध्वस्तीकरण में इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटकों में डेटोनेटर्स, रासायनिक मिश्रण और शॉक ट्यूब शामिल हैं, जिनमें जेल या पाउडर रूप में विस्फोटक सामग्री होती है।
एक अधिकारी ने कहा कि ये विस्फोटक बहुत प्रभावशाली नहीं होते हैं, लेकिन जब इन्हें बड़ी तादाद में इस्तेमाल किया जाता है तो ये कंक्रीट को तोड़ सकते हैं। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक के इन ट्विन टावरों को ध्वस्त किया जा रहा है। न्यायालय ने इन इमारतों को अवैध करार दिया तथा कहा कि नियमों का उल्लंघन करके इनका निर्माण किया गया है।
35,000 टन घनमीटर धूल का गुबार : परियोजना के अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए आकलन के अनुसार, एपेक्स (32 मंजिला) और सियान (29 मंजिला) इमारतों के ध्वस्त होने से तकरीबन 35,000 घन मीटर मलबा और धूल का गुबार पैदा होगा, जिसका निपटान किया जाना होगा।
नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक (योजना) इश्तियाक अहमद ने कहा कि 21,000 घन मीटर मलबे को वहां से हटाया जाएगा और पांच से छह हेक्टेयर की एक निर्जन जमीन पर फेंका जाएगा तथा बाकी मलबा ट्विन टावर के भूतल क्षेत्र में भरा जाएगा, जहां एक गड्ढा बनाया गया है।
4000 टन लोहा निकलेगा : मेहता ने बताया कि ट्रक मलबे को लेकर करीब 1200 से 1300 फेरे लगाएंगे। हालांकि, पूरा मलबा बेकार नहीं जाएगा। इसमें से तकरीबन 4,000 टन लोहा और इस्पात निकलेगा, जिसका इस्तेमाल एडिफिस ध्वस्तीकरण की लागत वसूलने के तौर पर करेगी।
नोएडा प्राधिकरण का भी सेक्टर 80 में निर्माण और ध्वस्त कचरा प्रबंधन संयंत्र है, जिसमें हर दिन 3000 टन कचरे का निस्तारण करने की क्षमता है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस मलबे का वहां पर निस्तारण किया जाएगा या नहीं और अगर किया जाएगा तो कैसे तथा कितने वक्त में किया जाएगा। (एजेंसी/वेबदुनिया)