नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को सेना के एक अधिकारी की मां की ओर से दाखिल उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की जेल में पिछले 23 वर्षों से बंद अपने बेटे को स्वदेश वापस लाने के लिए केन्द्र को राजनयिक माध्यम से तत्काल कदम उठाने के निर्देश देने का अनुरोध किया है।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने नोटिस जारी करके केन्द्र से 81 वर्षीय कमला भट्टाचार्य की याचिका पर जवाब मांगा है और इस मामले में तत्काल मानवीय आधार पर अधिकारियों को हस्तक्षेप करने के निर्देश देने का कहा है। कमला भट्टाचार्य कैप्टन संजीत भट्टाचार्य की मां हैं।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को यह जानकारी मिली है कि संजीत लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद हैं। संजीत को अगस्त 1992 में भारतीय सेना की गोरखा रायफल्स रेजीमेंट में एक अधिकारी के तौर पर शामिल किया गया था।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि अप्रैल 1997 में उनके परिवार को सूचित किया गया कि उनका बेटा जो कि गुजराज के कच्छ के रण में सीमा पर रात में गश्त ड्यूटी पर गया था, उसे पाकिस्तानी अधिकारियों ने पकड़ लिया था।
अधिवक्ता सौरभ मिश्रा की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के बेटे को पिछले 23 वर्षों में किसी उचित प्राधिकार के सामने अपना मामला रखने का न तो अवसर दिया गया और न ही उसे परिवार के सदस्यों से बात करने की अनुमति दी गई।
इसमें कहा गया कि अप्रैल 2004 में याचिकाकर्ता के परिवार को रक्षा मंत्रालय से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया था कि संजीत को मृत माना जा रहा है। याचिका में आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता को 31 मई 2010 को एक मेजर जनरल की ओर से पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें सूचित किया गया था कि संजीत के नाम को मौजूदा लापता युद्ध कैदी (पीओडब्ल्यू) की सूची में जोड़ लिया गया है।
याचिका में कहा गया, याचिककर्ता का परिवार आज भी कैप्टन संजीत के लौटने का इंतजार कर रहा है। याचिकाकर्ता के पति का 28 नवंबर 2020 को निधन हो गया और याचिकाकर्ता खुद 81 वर्ष की हैं और अपने बेटे की एक झलक देखने के लिए तरस रही हैं।(भाषा)