नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को खत लिखकर कुछ सवाल किए हैं। जजों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कुछ न्यायिक आदेशों की वजह से न्याय प्रक्रिया की पूरी कार्यप्रणाली पर बुरा असर पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर उंगली उठाने वाले इन चार जजों के नाम हैं जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव और जस्टिस कुरियन जोसेफ।
उल्लेखनीय है कि जजों की चीफ जस्टिस को लिखी मीडिया में आ चुकी है। चिट्ठी में बाकी बातों के अलावा लिखा गया है कि चीफ जस्टिस सिर्फ 'सभी समान लोगों में पहले नंबर पर आते हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं'। जजों ने चिट्ठी में लिखा है कि हमें यह बताते हुए काफी दुख हो रहा है कि नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। जजों ने यह भी दुख जाहिर किया है कि कई ऐसे मामले हैं, जिनमें बड़े स्तर पर राष्ट्रीय हित जुड़े हुए होते हैं, लेकिन चीफ जस्टिस ने इन मामलों को अपनी पसंदीदा बेंचों को ही ट्रांसफर कर दिया।
जस्टिस जे चेलमेश्वर : आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में 23 जुलाई, 1953 को पैदा होने वाले जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर ने दक्षिण भारत के प्रतिष्ठित मद्रास लोयला कॉलेज से भौतिकी विषय से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय से 1976 में कानून की पढ़ाई की। 13 अक्टूबर, 1995 में चेलमेश्वर एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाए गए थे। इसके बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रधान न्यायाधीश की भूमिका निभाने के बाद साल 2011 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। जस्टिस चेलमेश्वर की बेंच ने साल 2012 में धारा 66 ए को असंवैधानिक करार देते हुए देश में बोलने की आजादी को लेकर एक बड़ा फैसला दिया था।
जस्टिस रंजन गोगोई : असम में 18 नवंबर, 1954 में पैदा होने वाले जस्टिस रंजन गोगोई 1978 में वकील बने और गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबे समय तक वकालत करने के बाद उन्हें 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में स्थाई जज के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में 9 सितंबर 2010 को उनका तबादला पंजाब - हरियाणा हाईकोर्ट में हुआ और, 23 अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
जस्टिस रंजन गोगोई उस बैंच में शामिल रहे हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू को सौम्या मर्डर केस पर ब्लॉग लिखने के संबंध में निजी तौर पर अदालत में पेश होने के लिए कहा था।
जस्टिस मदन भीमराव लोकुर : जस्टिस मदन भीमराव लोकुर दिल्ली से हैं और उनका जन्म 31 दिसंबर 1953 को हुआ था। जस्टिस लोकुर ने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के सैंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया। बाद में, दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने 1977 में एलएलबी की डिग्री हासिल की।
उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में काफी समय तक वकालत की और वे 1981 में परीक्षा पास करके सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड में पंजीकृत हुए। उन्हें सिविल लॉ, क्रिमनल लॉ, संवैधानिक कानून और रिवेन्यू एंड सर्विस लॉ में महारथ हासिल है।
वे करीब छह वर्षों तक केन्द्र सरकार के वकील रहे और उन्होंने तमाम मामलों में केन्द्र सरकार की ओर से पैरवी की है। वर्ष 1997 में वे वरिष्ठ वकील नियुक्त कर दिए गए जिसके बाद से उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।
जस्टिस कुरियन जोसेफ : जस्टिस कुरियन का जन्म 30 नवंबर 1953 में केरल में हुआ था और उन्होंने केरल लॉ एकेडमी, लॉ कॉलेज से तिरुवनंतपुरम से कानून की पढ़ाई की थी। 1977-78 में वे केरल यूनिवर्सिटी में एकेडमिक काउंसिल के सदस्य बने।
बाद में वे 1983 से 1985 तक कोच्चि यूनिवर्सिटी के सीनेट मेंबर रहे। वर्ष 1979 से केरल हाई कोर्ट से वकालत शुरू करने वाले कुरियन 1987 में सरकारी वकील बने और 1994-96 तक एडिशनल जनरल एकवोकेट रहे।
वर्ष 1996 में जोसेफ सीनियर वकील बने और 12 जुलाई 2000 को केरल हाई कोर्ट में जज बनाए गए।
2006 से 2008 के बीच वह केरल न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2008 में उन्हें लक्षद्वीप लीगल सर्विस अथॉरिटी का अध्यक्ष बनाया गया था।
इसके बाद वह आठ फरवरी, 2010 से 7 मार्च, 2013 तक हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे। आठ मार्च, 2013 को जस्टिस कुरियन सुप्रीम कोर्ट में जज बने। वह 29 नवंबर, 2018 को रिटायर हो जाएंगे। कुरियन पांच जजों की उस बेंच का भी हिस्सा रहे हैं जिन्होंने तीन तलाक़ के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया था।