नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्त पदों को नहीं भरने को बहुत अफसोसजनक स्थिति करार देते हुए शुक्रवार को केंद्र को 10 दिनों के भीतर उठाए गए कदमों से अवगत कराने का निर्देश दिया और कहा कि उसे आशंका है कि इस संबंध में कुछ लॉबी काम कर रही है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, हमें न्यायाधिकरणों को जारी रखने या न्यायाधिकरणों को बंद करने पर एक स्पष्ट रुख पता होना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि नौकरशाही इन न्यायाधिकरणों को नहीं चाहती है।
पीठ ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) जैसे देशभर के विभिन्न न्यायाधिकरणों में न्यायिक और गैर-न्यायिक सदस्यों के रिक्त पदों का उल्लेख किया और कहा कि वह इन अर्ध-न्यायिक निकायों में नियुक्ति नहीं करने के कारण बताने के लिए शीर्ष अधिकारियों को तलब कर सकती है।
शीर्ष अदालत को न्यायालय की रजिस्ट्री ने 15 अर्ध-न्यायिक निकायों जैसे ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी), डीआरएटी, प्रतिभूति अपीली न्यायाधिकरण, दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपीली अधिकरण (टीडीसैट), एनसीएलटी और एनसीएलएटी में लंबित रिक्तियों से संबंधित सभी ब्योरा मुहैया कराया।
पीठ ने कहा कि इन न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारियों या अध्यक्ष के 19 पद खाली हैं और उनके अलावा न्यायिक तथा तकनीकी सदस्यों के क्रमश: 110 और 111 पद खाली हैं। इन पदों को रिक्त रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
पीठ ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि एक सप्ताह के भीतर आप निर्णय करेंगे और हमें अवगत कराएंगे। नहीं तो हम बहुत गंभीर हैं, हम शीर्ष अधिकारियों को पेश होने और कारण बताने के लिए मजबूर हो सकते हैं। कृपया ऐसी स्थिति उत्पन्न ना करें।
शीर्ष अदालत वकील और कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा दाखिल एक याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई कर रही थी। याचिका में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) न्यायाधिकरण के गठन के लिए निर्देश का अनुरोध किया गया है।
पीठ ने इस तथ्य से नाराजगी जताई कि जीएसटी पर कानून के तहत अपीली न्यायाधिकरण की स्थापना के प्रावधान के बावजूद लगभग चार साल पहले कानून लागू होने के बाद भी इसकी स्थापना नहीं की गई। पीठ ने कहा, सीजीएसटी कानून लगभग चार साल पहले लागू हुआ था, लेकिन आप कोई भी अपीली न्यायाधिकरण की स्थापना करने में नाकाम रहे।
प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, हमारी रजिस्ट्री ने जानकारी दी है कि 15 ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं। कोई अध्यक्ष नहीं हैं। साथ ही कहा कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में न्यायिक और तकनीकी सदस्यों की रिक्तियां हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह और न्यायमूर्ति सूर्यकांत दोनों चयन समिति के सदस्य हैं और उन्होंने मई 2020 में नामों की सिफारिश की थी।
पीठ ने कहा कि एएफटी, एनजीटी और रेलवे दावा न्यायाधिकरण में कई पद खाली हैं और इन रिक्तियों को भरने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है और इसे बहुत अफसोसजनक स्थिति करार दिया। पीठ ने कहा, हमें आशंका है कि कुछ लॉबी इन रिक्तियों को नहीं भरने के लिए काम कर रही है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले पर अदालत को अवगत कराने के लिए कुछ समय मांगा और कहा कि कार्यकाल और नियुक्ति के तरीके से संबंधित कुछ मुद्दे हैं। पीठ ने कहा कि न्यायाधिकरण कानून के तहत बनते हैं और प्रक्रिया भी निर्धारित है।
पीठ ने कहा कि चयन समितियों, जिसकी अध्यक्षता ज्यादातर शीर्ष अदालत के न्यायाधीश करते हैं, ने न्यायाधिकरणों में नियुक्तियों के लिए नामों की सिफारिश की है और नियुक्तियों के बाद कई मुद्दों से निपटा जा सकता है।(भाषा)