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सुप्रीम कोर्ट को शादी रद्द करने का अधिकार, 5 जजों का बड़ा फैसला

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, सोमवार, 1 मई 2023 (11:50 IST)
Supreme Court On Marriage : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को व्यवस्था दी कि वह जीवनसाथियों यानी पति-पत्नी के बीच आई दरार भर नहीं भर पा रहे हैं तो इस आधार पर कोर्ट उनकी शादी को खत्म कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के आपसी सहमति से विवाह विच्छेद यानी तलाक पर किए गए इस फैसले को बड़ा फैसला माना जा रहा है। 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा, अगर संबंधों को जोड़ना संभव नहीं है, तो अनुच्छे 142 का इस्तेमाल कर कोर्ट तलाक करवा सकती है।

न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पूरा न्याय करने का अधिकार है। संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित किसी मामले में ‘संपूर्ण न्याय’ करने के लिए उसके आदेशों के क्रियान्वयन से संबंधित है। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘हमने व्यवस्था दी है कि इस अदालत के लिए किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है।’ न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसके अधिकारों के प्रयोग से संबंधित कई याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।

क्या है अनुच्छेद 142 : संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को विशाल अधिकार देता है, जिसके तहत उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए शीर्ष अदालत फैसला सुना सकती है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को दो सवाल संविधान पीठ को भेजे गए थे। अनुच्छेद 142 के तहत SC द्वारा इस तरह के अधिकार क्षेत्र का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए या क्या इस तरह के अभ्यास को हर मामले के तथ्यों में निर्धारित करने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।
Edited by navin rangiyal

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