-सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की कि असंतोष (बागियों) की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पार्टी में रहते हुऐ कोई एमएलए अयोग्य कैसे हो सकता है।
-सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा मुमकिन है। उन्होंने इस संबंध में 1992 में किटोनहोलोहल मामले का भी हवाला किया।