Supreme Court : उच्चतम न्यायालय ने विवाह के वक्त एक लड़की के नाबालिग रहने के आधार पर उसके पार्टनर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के लिए दायर याचिका खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि संतान कोई संपत्ति नहीं है। याचिका युवती के माता-पिता ने दायर की थी। पीठ ने कहा कि विवाह के समय लड़की नाबालिग नहीं थी और व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई क्योंकि उसके (लड़की के) माता-पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि विवाह के समय लड़की नाबालिग नहीं थी और व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई क्योंकि उसके (लड़की के) माता-पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। न्यायालय ने कहा, आपको कैद करने का अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि आप अपने बालिग बच्चे के रिश्ते को स्वीकार नहीं करते हैं। आप अपनी संतान को एक संपत्ति मानते हैं। संतान कोई संपत्ति नहीं है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अपनी संतान की शादी को स्वीकार करें। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour