supreme court on illigal sand minning : सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रेत खनन मामलों की जांच और इसमें शामिल संस्थाओं के पट्टे समाप्त करने के अनुरोध वाली याचिका पर मंगलवार को तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से 6 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। 6 सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने पर दी जुर्माने की चेतावनी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि यदि राज्य 6 सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करते हैं तो उन पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। पीठ ने मामले को नवंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
याचिकाकर्ता एम. अलगरसामी की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिका 2018 की है। उन्होंने कहा कि इन 4 राज्यों ने नोटिस जारी किए जाने के बावजूद अवैध रेत खनन की स्थिति पर हलफनामा दाखिल नहीं किया है।
भूषण ने कहा कि बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन जारी है जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और अब तक केवल पंजाब सरकार ने ही अपना जवाब दाखिल किया है।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु के बारे में मामले पर एक संक्षिप्त नोट दाखिल किया है और राज्य को इस पर जवाब देना चाहिए। दलीलों पर गौर करने के बाद पीठ ने तमिलनाडु से संक्षिप्त नोट पर जवाब देने को कहा।
शीर्ष अदालत ने 24 जनवरी, 2019 को नोटिस जारी कर केंद्र, सीबीआई और पांच राज्यों को याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया था।
याचिका में देश भर में नदियों और समुद्र तटों पर होने वाले अवैध रेत खनन के मुद्दे को उठाया गया है और आरोप लगाया गया है कि इससे पर्यावरणीय क्षति हुई है तथा संबंधित प्राधिकारियों ने अनिवार्य पर्यावरणीय योजना और मंजूरी के बिना संस्थाओं को काम करने की अनुमति दी है। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta