Electoral Bond : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय स्टेट बैंक को नोटिस जारी कर कहा कि बॉन्ड नंबर की जानकारी क्यों नहीं दी गई? किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया? शीर्ष अदालत ने SBI से इस मामले में सोमवार तक मांगा जवाब है।
इलेक्टोरल बॉन्ड पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि SBI द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड पर दी गई जानकारी सार्वजनिक की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉन्ड नंबर की जानकारी क्यों नहीं दी गई। आदेश में बॉन्ड नंबर की जानकारी देने को कहा गया था।
अदालत ने अपने पंजीयक (न्यायिक) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निर्वाचन आयोग द्वारा सीलबंद कवर में सौंपे गए आंकड़ों को स्कैन किया जाए और उन्हें डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराया जाए। इसके बाद मूल दस्तावेज निर्वाचन आयोग को लौटा दिए जाएं।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की 2 लिस्ट अपलोड की गई हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल है।
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी बॉण्ड का विवरण जारी करने के बाद दावा किया कि दाता और प्राप्तकर्ता फाइल में प्रविष्टियों की संख्या में विसंगति है। विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी सवाल किया कि साझा किया गया विवरण अप्रैल 2019 की अवधि से संबंधित क्यों है, जबकि यह योजना 2017 में शुरू की गई थी।
कांग्रेस के संचार विभाग में अनुसंधान और निगरानी के प्रभारी अमिताभ दुबे ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना 2017 में शुरू की गई, लेकिन प्रस्तुत आंकड़े अप्रैल 2019 से हैं। उन्होंने कहा कि दाताओं की फाइल में 18,871 प्रविष्टियां हैं, प्राप्तकर्ताओं की फाइल में 20,421 प्रविष्टियां हैं। यह विसंगति क्यों है?
Edited by : Nrapendra Gupta