नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव से पहले सार्वजनिक कोष से 'अतार्किक मुफ्त सेवाएं' वितरित करने या इसका वादा करने वाले राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न जब्त करने या उनकी मान्यता रद्द करने का दिशा-निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने इस मामले में नोटिस जारी कर केंद्र और चुनाव आयोग से मंगलवार को जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश वी एन रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र एवं चुनाव आयोग से 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस प्रकार के लोकलुभावन कदम उठाने पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए क्योंकि यह संविधान का उल्लंघन है। निर्वाचन आयोग को इसके खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।